Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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= વસ્થા હી વોર વઢ છા । राजा कोणिक के साथ इनका संग्राम वैशाली में हुआ था । वैशाली का वर्णन वाल्मीक रामायण में भी आया है । वुद्ध ग्रंथों में वैशाली की भव्यता का वर्णन है, वैशाली के लोगों ने महात्मा बुद्ध को धरती के देव कहा है । वैशाली के राजा सामूहिक फैसलों के लिये आपस में जुड़ते थे । उनके निर्णय वर्तमान गणतन्त्र के लिये उदाहरण हैं । जैन व बौद्ध धर्म के संघ के निर्माण में इस व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान है ।। यहां की रानी चेलना थी, जो भगवान महावीर की समर्पित उपासिका थी । राजा चेटक किसी अजैन की कन्या नहीं लेता था, पर यह विवाह प्रेम विवाह था । इसलिये राजा श्रेणिक एक राजगृह से वैशाली तक एक सुरंग का निर्माण कराया था । चेलना व उसकी वहिन दोनों श्रेणिक को चाहती थीं । चेलना पहले पहुंच गई, राजा श्रेणिक चेलना को भगाकर ले गया । उसी की वहिन लज्जावश घर नहीं गई, वह प्रभु महावीर की श्रमणी वन गई । वाकी सभी राजा जैन थे, रानी चेलना पटरानी वनी । राजा श्रेणिक वौद्ध था ।। रानी चेलना अपने पति से प्रभु महावीर का भक्त वनाना चाहती थी, पर धर्म श्रद्धा आत्मा का विषय है, वनने से कोई धार्मिक नहीं बनता, पर जीवन में कुछ प्रसंग ऐसे होते हैं कि वह जीवन धारा को मोड़ कर रख देते हैं । ऐसी ही घटना का विवेचन हम आगे करेंगे, जिस घटना ने राजा श्रेणिक को प्रभु महावीर का परम भक्त बना दिया ।
पर यहां तो हम वैशाली की वात कर रहे हैं, दोपहर को हमने वैशाली की ओर प्रस्थान किया, इसके लिये छोटा रास्ता गांधी पुल से जाता था । पुराना रास्ता गांधी पुल से जाता था । पुराना रास्ता किश्ती का भी है । यह गंगा का पार है । इस नदी को प्रभु महावीर ने वैशाली से राजगृह जाने के लिये प्रयोग किया था । उनके जीवन की अनेक
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