Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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ગાથા તી ગોર લટો ા अचानक ही सहसाराम शहर आया । यह स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री जगजीवन जी का संसदीय क्षेत्र था । यहां हमें शाम होने वाली थी कि गाड़ी में पंक्चर हो गया । उस जंगल में हमें पंक्चर की दुकान व चाय की दुकान मिली । पंक्चर लगने लगा, मेरे धर्मभ्राता रवीन्द्र जैन ने ड्राईवर से कहा, "भाई ! ध्यान से पंक्चर चैक करवा लो, जो समय लगेगा, हम रुक जायेंगे ।" ड्राइवर ने कहा, “साहव, एक ही पंक्चर था, अव हम रवाना होंगे । पंक्चर पक्का था, उसकी टयूव को चढ़ाने से पहले चैक किया गया तो उसमें एक पंक्चर और था । फिर ड्राइवर ने पंक्चर लगाने वाले को कहा, " तूने पंक्चर की ओर ध्यान नहीं दिया, मेरी सवारी परेशान हो रही है ।" इसी वार्तालाप में आधे घण्टे से ज्यादा समय लग गया । मेरे धर्मभ्राता कुछ सफर की थकान से परेशान हो गया था, पर यात्रा तो जारी रखनी थी । घर छोड़े काफी समय हो चुका था, अभी कितने दिन और लगेंगे, पता नहीं था, क्योंकि यात्रा का अभी काफी लन्दा शडियूल हमारे सामने था
हम शाम के चार बजे वाराणसी पहुंचे । वाराणसी हिन्दू धर्म का प्रथम तीर्थ है । ६४ तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ है । इसका नाम काशी, बनारस, मुगल सराय प्रमुख है I यह काशी विश्वनाथ के मन्दिर के कारण प्रसिद्ध है | वाराणसी प्राचीन भारत में धर्म, कला व संस्कृति का केन्द्र रहा है । यहां भगवान महावीर ने चतुर्मास किया था । श्री उपासक दशांग सूत्र के दस उपासकों में से दो उपासक इसी पवित्र भूमि से थे । यह स्थान अनेकों तीर्थंकरों के कल्याणकों का स्थल रहा है, जो वर्तमान वाराणसी के आस पास सुशोभित है ।
यहां भगवान वुद्ध अनेकों बार पधारे । इसी स्थान पर उन्हें शिष्यों की प्राप्ति हुई । यहां उनका प्रथम उपदेश हुआ,
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