Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
की भी अच्छी सुविधा है । श्वेताम्बर मन्दिर भूचाल का शिकार हो गया था । अभी इस मन्दिर का समान एक भव्य परिसर में रखा है । इसे नौलक्खा मन्दिर कहते हैं । इस पत्थर की इमारत पर उस जमाने के नौ लाख रुपये खर्च आये थे । यहां प्राचीन मन्दिर की समस्त प्रतिमाएं विराजमान हैं । यह एक प्राचीन शिलालेख मन्दिर में लगा हुआ है । इसकी भाषाएं संस्कृत हैं । यह मन्दिर लाल पत्थर का बना हुआ है । यहां मूल नायक भगवान मुनि सुव्रत स्वामी की भव्य श्यामवर्ण की प्रतिमाएं हैं । यहां सीमंधर स्वामी की प्रतिमा भी है । मन्दिर क े अन्दर छत पर लाल कमल काफी वजन का है । हम अभी बस स्टैंड पर ही घूम रहे थे । अव हम तीर्थदर्शन करके वीरायतन पहुंचे पर रास्ते में विचार आया कि अभी दिन काफी पड़े हैं, क्यों न राजगिर की इमारतों के दर्शन करें । हमने गर्म पानी के कुंड देखे, वहां से टांगा लिया, टांगे वाला एक छोटी उम्र का लड़का था, उसने पूछा साहब कहां जाना है ? मैंने कहा, "जो यहां देखने योग्य इमारते हैं, वहां घुमाकर वीरायतन छोड़ दो । टांगे वाला १६-१७ साल का बच्चा था । वह इस क्षेत्र का काफी जानकार था । टांगे वाला बड़ा दिलचस्प था । उसने हमें बताया कि मैं वीरायतन में साध्वी मां चन्दना के यहां से ५ जमात तक पढ़ा हूं । उन्होंने हमें नवकार मंत्र, तिक्खतो का पाठ व २४ तीर्थंकरों के नाम सिखाये हैं । मुझे मांस अण्डे का त्याग करवाया है । मुझे मेरे हर कार्य में हर प्रकार से सहायता की है । हर दोपहर को मैं अपने गुरु को वन्दना करने जाता हूं ।” फिर उसने हमें नवकार मंत्र सुनाया । उस वालक को देखकर साध्वी चन्दना के काम का अंदाजा लगा लिया ।
जव वीरायतन का यह स्थान खरीदा गया तो ५ वीघे
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