Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम
२ पूज्यनीय महाश्रमणी, जैन ज्योति, जिन शाषण प्रभाविका साध्वी श्री स्वर्णकांता. जी महाराज की परम्परा व उनका
शिष्य परिवार
महाश्रमणी, उपप्रवर्तनी श्री स्वर्णकांता जी महाराज जैन श्रमणी परम्परा में विशिष्ट स्थान रखती थीं। आप का संबंध प्रवर्तनी श्री पावर्ती जी महाराज से संबंधित था। स्व० अगर चन्द नाहटा की दृष्टि में साध्वी पावर्ती जी महाराज हिन्दी की प्रथम जैन महिला लेखिका थीं। उनका विशाल शिष्य परिवार था। वह महान धर्म प्रचारिका थीं। उन्होंने अपने समय के सभी धर्म प्रचारकों से धर्म चर्चा की थी। उन्होंने महाराज नाभा के प्रश्नों के उत्तर दिए थे। महाराजा नाभा जैन साधू साध्वीवों से व्यर्थ में ही नफरत करता था। आप ने वडी हिम्मत से नाभा पहुंच कर देवी मंदिर दयाल चौंक में प्रवचन शुरू किया। इस की खवर महाराजा को पहुंची। महाराजा ने अपने राजपुरोहित के हाथ कुछ प्रश्न लिख कर भिजवाए। उनका उत्तर आप ने विद्वता पूर्ण ढंग से दिया। आप का महाराजा ने सम्मान किया। फिर पूज्य अमरसिंह महाराज पधारे। इसी प्रकार श्वेताम्बर मूर्ति पूजक आचार्य विजयवल्लभ भी यहां पहुंचे थे। साध्वी जी ने ४० से ज्यादा हिन्दी जैन ग्रंथों की रचना की थी। इन ग्रंथों को पढ़ कर उनकी विद्वता का पता चलता है। आप बहुभाषा विध थीं। आगमों व दूसरे धमों के साहित्य पर आप का पूर्ण अधिकार था।
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