Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम हर रचना में उनका विमर्श, दिशा निर्देश हमें मिलता रहा है। जीवन के हर मोड़ पर हमें हर मामले में आप का दिशा निर्देश मिला है। आप की सद्प्रेरणा से महाश्रमणी अभिनन्दन ग्रथ व सचित्र भगवान महावीर जीवन चारित्र लिखने का सौभाग्य हमें मिला। .
आप का दार्शन मांगलिक है। आप में पूज्य गुरुणी स्वर्णकाता का तप तेज झलकता है। बडे बडे से मामले में आप अपनी सहजता सरलता से काम लेती हैं। आप का जीवन क्षमा का प्रत्यक्ष प्रमाण है। क्षमा आप का जीवन है। आप का श्रृंगार है। हर वात में दया झलकती है। सव से बडी बात है कि आप सव जैनों को भाई मान कर जैन एकता को मजबूत करती हैं। आप के चरणों में जैन के सभी सम्प्रदायों के लागू सुख शांति महसूस करते हैं। आप का पुण्य चहुतरफा देखा जा सकता है। आप जहां विराजते हैं उस श्री संघ को चार चांद लग जाते हैं। आप में सहधर्मी वात्सलय का भाव कूट कूट कर भरा हुआ है। आप गरीवों व सहधर्मी का बहुत ध्यान रखती है। आप समाज को गरीव, यतीमों बेसहारा बहिन भाईयों के उत्थान की प्रेरणा देती रहती हैं। आप ने कई ऐसी संस्थाओं का निर्माण स्थानिय स्तर पर किया है जो स्थानिय संघ की मदद से उन पिछड़े लोगों की सहायता करते हैं। आप ने गुरूणी साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के देवलोक के बाद अम्बाला में एक कम्पयूटर सैंटर खुलने जा रहा है।
आप के दर्शन का लाभ किसी खुशनसीव को होता है। आपका जीवन सुहृदता व प्रेम का संदेश है। हम भी उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जिन्हें आप की प्रेरणा व दिशा निर्देश में कार्य करने का अवसर मिला है। गुरूणी जी के स्वर्गवास के बाद आप ने उनके कार्य रूपी मिशाल को हाथों
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