Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
पटियाला से संस्कृत एम.ए. में सारी यूनिवर्सिटी से प्रथम आई है। इस विषय पर आपकी शिष्या को गोलड मैडल जैन स्थानक में स्वयं उप-कुलपति रजिस्टरार ने समर्पित किया । साध्वी श्री स्वर्णकांता जी की संसारिक भतीजी वीरकांता जी आप की शिष्या हैं ।
आप का जीवन सहजता, सरलता व विनम्रता का त्रिवेणी संगम है। महातपस्वी हैं । महान प्रवचन देने में प्रमुख हैं । आप ने स्व० गुरूणी की बहुत सेवा की। आप के जीवन से मुझे आस्था का सवक मिला । साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के स्वर्गवास के वाद, आचार्य संसार डा० शिवमुनि जी महाराज ने आप को उपप्रवर्तनी पद से सुशोभित किया। यह समारोह पंचकुला श्री संघ ने सम्पन्न किया गया। सरलात्मा साध्वी श्री सुधा जी महाराज :
सरलात्मा साध्वी श्री सुधा जी महाराज साध्वी स्वर्णकांता जी महाराज की द्वितीय शिष्या हैं । सांसारिक दृष्टि से उनकी भानजी हैं । गुरुणी श्री सुधा जी महाराज का जीवन रत्नत्रयी की आराधना का जीता जागता प्रमाण हैं। आप जैन धर्म की प्रभावना करने में हर समय तत्पर रहती हैं। उन्होंने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने अपनी गुरूणी का कठोर अनुशाषनात्मक जीवन झेला है। उनका ज्ञान अनुपम है । वह साधना की जीती जागती ज्योति हैं। वह सेवा, साधना व स्वाध्याय में हर समय लीन रहती हैं। स्वाध्याय के अतिरिक्त वह लम्बे समय तप करती रहती हैं। दूसरे लोगों को तप करने की प्रेरणा देती हैं। वह श्रमण संस्कृति की सेवा में हर पल गुजारती हैं। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी के हर कार्यक्रम के आयोजन के पीछे आप का
मुख योगदान रहा है । अव अपनी गुरूणी के यश को आगे बढ़ाने में आप का दिमाग काम करता है । इतना वडा साध्वी
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