Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कलम द्वारा देखे स्वप्नों क वर्णन व विवेचन है। यह पुस्तक अपने ढंग की एक पुरतक है जिस में स्वप्नों का अध्यात्म से मिलान किया गया है। इस पुरतक के आधार पर मैंने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि मुनष्य के जीवन में स्वप्नों का कितना महत्व है। इन से हमारा कैसा रिश्ता है ? कैसे यह हमारी मनोदशा को प्रभावित करते हैं। सव का विवेचन दिया गया है।
हमारे द्वारा सम्पादितं साहित्य
। हम दोने ने पंजावी हिन्दी भाषा के लेखन कार्य के साथ साथ सन्दन कार्य भी किया है। हमारे द्वार सम्पादित ग्रंथों में कुछ इस प्रकार हैं जिन ग्रंथों का संपादन करने का हमें सौभन्य मिला है। आस्थांजली १ :
वर्तमान प्रभावक जैन आचायों में विश्व केसरी, जैन धर्म दिवाकर, विद्या प्रभावक श्री विमल मुनि जी महाराज का अपना स्थान है। आप से हमारा परिचय ३० वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। आज आप व्योवृद्ध अवस्था में भी जैन धर्म का प्रचार प्रसार हेतु लगे रहते हैं। आप एक निभीक श्रमण हैं जो प्रभु महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह व अनेकांतवाद सिद्धांतों को समर्पित हैं। परोपकार आ, सेवा, साधना द
साहित्य आपकी जैन धर्म को प्रमुख देन है। वह क्रान्तिकारी भिक्षु है, वह संसार का कई वार भ्रमण कर चुके हैं। वह किसी प्रकार भी सन्मान की भावना से दूर रहते हैं। लाखों नए लोगों को उन्हें.ने जैन धर्म में दीक्षित किया है। उनका जन्म कुप्प कलां में आज से ६६ वर्ष पहले पंडित देवराज व माता गंगादेवी के यहां ब्राह्मण कुल में हुआ। यह परिवार जैन परम्परा से घृणा करता था। आप को दीक्षा ग्रहण करने में
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