Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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વાયા હી વોર વજે ૦૮મ उस के ४०वें जन्म दिन पर भेंट की थी। इस का विमोचन भी मैंने ही किया है। अनजाने रिश्ते ६ : .
यह पुस्तक मेरी अनुभूतियों को प्रकट करने वाली पुस्तक है। पुस्तक में जैन धर्म में आत्मा परमात्मा, कर्म, पुर्नजन्म, नवतत्व आदि सिद्धांतों का विवेचन दार्शनिक ग्रंथों के आधार पर किया गया है। इस के बाद मैंने स्वप्न के आधार पर अपनी आत्मा अनुसार विवेचन किया है। जैन धर्म में स्वप्नों का कितना महत्व है, इसी बात को आधार मान कर मैंने देखे स्वप्नों का वर्णन किया है। यह अद्भुत पुरतक है। इस पुरतक की समीक्षा पंजाव के प्रसिद्ध दैनिक पंजाब केसरी में प्रकाशित हुई थी। इस की प्रेरणा मुझे श्रीमती अमृता प्रीतम की पुस्तक "लाल धागे का रिश्ता" से मिली थी। मैंने जो स्वप्न देखे उनका विवेचन करने के पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि स्वपन भविष्य की घटनाओं की पूर्व सूचनाएं देते हैं। इन में से एक स्वप्न नाग मणि पत्रिका पंजाबी में प्रकाशित हुआ। यह दोनों पुस्तक का लेखन कार्य मेरे द्वारा सम्पन्न किया गया। इस पुस्तक के सम्पादन का दायित्व मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने निभाया। इस पुस्तक का समपर्ण जयपूर में महावीर इंटरनैशनल जयपूर के समारोह में सम्पन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन इस पुस्तक की प्रेरिका प्रसिद्ध विदूषी श्रीमती अमृता प्रीतम ने दिल्ली में अपने निवास स्थान पर किया। इस पुस्तक में मेरी कई विषयों पर अनुभूतियां दर्ज हैं। द्वितीय भाग में पुर्नजन्म से संबंधित घटनाएं दर्ज हैं जिनका संबंध जैन इतिहास से है। तीसरे भाग में तीर्थकरों की माता द्वारा देखे गए स्वप्न हैं। श्रमण भगवान महावीर को आए रवप्न व सम्राट चन्द्रगुप्त मोर्य को आए स्वपनों का वर्णन हे। अंतिम खण्ड में मेरे
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