Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
View full book text
________________
-
म
- आस्था की ओर बढ़ते कदम महाराज की प्रेरणा का फल था। इस महान साध्वी ने यह कार्य अपनी गुरुणी साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज का आशीवाद प्राप्त किया।
- इस प्रकाशन के बीच एक वार गुरूणी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की तबीयत खराव हो गई। पर शाषण देव की कृपा से वह पुनः स्वास्थ्य हो गई। लगभग एक वर्ष से ज्यादा समय में यह अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित हो गया। हमें दो वार आगरा प्रूफ देखने व कुछ चित्रों के मामले में इस ग्रंथ को संपूर्ण कराने के लिए जाना पड़ा।
इस अवसर पर एक पुस्तक महाश्रमण भी प्रकाशित हुई। इस ग्रंथ के कर्ता श्री मेजर मुनि जी महाराज हैं। इस ग्रंथ में उपप्रवर्तक श्री सुदर्शन मुनि जी महाराज का परिचय था। जो उस समय समारोह में मौजूद थे।
समारोह की तैयारीयां
इस प्रकार इस अवसर पर ४ ग्रंथ तैयार हो चुके थे। अव समारोह के लिए प्रोग्राम बनाने का कार्य शुरू किया गया। समारोह कैसे करना है ? किस किस को बुलाना है ? कहां करना है ? यह सव प्रश्न हमारे सामने थे। समारोह के मामले में स्थानीय श्री संघ का सहयोग प्राप्त हुआ। अभिनंदन ग्रंथ समारक समिति के सुपुर्द यह काम सौंपा गया। फिर भी प्रोग्राम की रूप रेखा हम दोनों ने तय की। प्रोग्राम २ दिन चलना था। पहले दिन तपस्या का कार्यक्रम था, दूसरे दिन समारोह होना था। यह तय हुआ कि समारोह में विशिष्ट विद्वानों, साध्वीयों, सम्पादक मण्डल का सम्मान किया जाए।
इस समारोह में हम ने अपने विशिष्ट मेहमानों को आमंत्रित करने का निर्णय किया। इस में जज, पोलिस
245.