Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम गया। फिर हमें जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों के आचायों, . साधु, साध्वी, श्रावकों से पत्र व्यवहार करना पड़ा। राजनेता व समाज सेवको से संदेश सस्मरण, व लेख लिखने की प्रार्थना की गई। भारत के कोने कोने से महान विद्वानों के लेख, हिन्दी, पंजावी, अंग्रजी भाषा में प्राप्त हुए। यह लेख जैन धर्म, संस्कृति, इतिहास दर्शन, कला, व पुरातत्व व साहित्य गणित आदि के संदर्भ में थे। यह हिन्दी पंजावी व अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हाने वाला प्रमाणिक धर्म ग्रंथ था। शायद ही ऐसा कोई विषय वचा हो, जिस पर इस ग्रंथ में विद्वानों के लेख प्रकाशित न हुए हों। ग्रंथ के प्रारम्भ में
आचार्य श्री के जीवन पर लेख, कविता व संदेश थे। ज्यादा हिरसा शोध निबंधों से भरपूर था। उनके प्रवचनों के अंश प्रकाशित करने का निर्णय हुआ। यह कार्य श्रीमती मोहनी कौल ने किया। उन दिनों कम्पयूटर नए आए थे। महाराज श्री का ५०वां दीक्षा दिवस करीव था। ग्रंथ प्रैस में नहीं छप रहा था। ग्रंथ का कुछ भाग कम्पयूटर द्वारा छापा गया। सारा कार्य जालंधर श्री संघ के हाथों सम्पन्न हुआ। ग्रंथ. विमोचन व आचार्य पद महोत्सव
.. इस ग्रंथ का विमोचन जालंधर श्री महावीर जैन भवन कपूरथला रोड में सम्पन्न हुआ। यह दो दिन का भव्य
समारोह था। पहला दिन समारोह शाम को रंगारंग प्रोग्राम __ था, जिस में एक महाराष्ट्र को नृत्यक ने इन्द्र की सभा व महावीर जन्म कल्याणक का नृत्य दिखाया। इस बूढे कलाकार की कला ने हमें बहुत प्रभावित किया। पूछने पर पता चला कि यह तो विदेशों में भी कार्यक्रम दिख चुका है। वैसे पुरानी फिल्मों में नृत्य का कार्यक्रम आयोजित कर चुका है।
__ दूसरे दिन भव्य समारोह जैन भवन में भूतपूर्व
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