Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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= आस्था की ओर बढ़ते कदम प्रवंध तो वौद्ध धर्म पर था पर आप जैन धर्म के प्रकाण्ड पंडित हैं। जैन नय, व्याकरण इतिहास पर आप का पूर्ण अधिकार है। इस अवसर पर हमारे द्वारा अनुवादित श्री सूत्रकृतांग का पंजावी अनुवाद साध्वी श्री को समर्पित किया गया। डा० जैन ने इस अवसर पर श्री सूत्रकृतांग सूत्र में प्रतिपादित विषयों पर अच्छा प्रकाश डाला। इसी अवसर पर मेरे को डा० जैन पर वोलना था। मैंने इस अवसर पर कहा “आप संस्कृत, प्राकृत भाषाओं के प्रकाण्ड पंडित हैं आप ने अनेकों शोधार्थीयों को जैन धर्म पर पी.एचडी. करवाई है। आज भी इनके आधीन कुछ पी.एचडी. कर रहे हैं। जैन नय निक्षेप पर आप माने हुए विद्वान हैं।
. इस अवसर पर साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज ने स्वेच्छा से अगला अवार्ड श्रीमती पुष्पकला जैन को उनके शोध निबंध “स्याद्वाद मंजरी" पर देने की घोषण कर डाली। श्रीमती जैन को यह अवार्ड देने में कुछ विलंब हुआ। श्रीमती जैन एक प्रध्यापिका हैं। उन्होंने इतने गूढ़ विषय पर कार्य किया है। महासाध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की ५०वीं दीक्षा जयंती पर उन्हें यह अवार्ड अनेकों साधु-साध्वीयों, श्रावक व श्राविकाओं के मध्य दिया गया। ऐसा भव्य समारोह उत्तर भारत में कम ही देखने को मिला है।
इस अवार्ड को उस समय और महत्व मिला जव हमारी समिति ने इस अवार्ड को विश्व प्रसिद्ध पंजावी कवियत्री, नावलकार, कहानीकार व निवंधों की लेखिका डा० अमृता प्रीतम को सन्मानित किया गया। उनका जैन धर्म के विभिन्न आयामों के कार्य के लिए यह सम्मान था। श्रीमती अमृता प्रीतम हमारी पूर्व परिचयत लेखिका थीं। उन्हें हमारे द्वारा लिखित सारा साहित्य मेरे धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन प्रेषित करते रहे हैं। उन्होंने एक बार मुझे कच्चे धागे का
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