Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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=ામ્યા છે. ગોર વહ ભ सहयोग था। कृति ने हमारा हौंसला बढ़ाया। फिर एक क्रम ' चल पड़ा, जो अव तक जारी है। इस क्रान्ति से हम पंजावी भाषा में जैन साहित्य के प्रथम अनुवादक बन गए। भगवान महावीर - सिद्धांत ते उपदेश - २ :
यह पुस्तक जैन धर्म की महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस का मूल लेखन राष्ट्र संत उपाध्याय श्री अमर मुनि जी महाराज ने किया है। यह पुस्तक गागर में सागर है। मात्र १२० पृष्ट की इस पाकेट साईज ग्रंध में भगवान महावीर के पूर्व कालीन स्थितियां, तीथंकर परम्परा, श्रमण व श्रावक परम्परा, प्रभु महावीर के जीवन की घटनाओं के मार्मिक प्रसंग, अहिंसा अनेकांतवाद आदि सिद्धांतों का सरल, सुगन भाषा में विवरण प्राप्त होता है। काफी समय से पंजावी भाषा में कोई प्रमाणिक जीवन चारित्र उपलब्ध नहीं था। इस वात की कमी मुझे उस मीटिंग में खटकी, जिस में ज्ञानी जैल सिंह मुख्यमंत्री पंजाव सरकार ने ऐसे साहित्य की मांग की थी, जो पंजावी भाषा में हो। परन्तु जैन समाज; जो भगवान महावीर का २५०० साला निर्वाण महोत्सव मना रहा था, उस के पास ज्ञानी जी के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था।
मैने अपने प्रिय धर्म भ्राता रविन्द्र जैन का ध्यान इस कमी की ओर दिलाया। उसे प्रेरणा देते हुए मैने कहा, "रविन्द्र ! ज्ञानी जी द्वारा जैन समाज को जो इंगित किया गया है। इस कमी को पूरा करो। जल्दी ही किसी विद्वान द्वारा प्रमाणिक जीवन चारित्र को पंजावी भाषा में अनुवादित करो।"
मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने मेरे इस संदेश को आदेश मानकर शिरोधार्य किया। उन्होंने एक मास में ४० से ज्यादा जीवन चारित्र पढ़ डाले। अंत में यह ग्रंथ हमें आचार्य श्री विमल मुनि जी महाराज की लाईब्रेरी से प्राप्त हुआ।
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