Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
मुनि जी महाराज मालेरकोटला में अचानक पधारे थे । इस का प्रमुख कारण था जैन साध्वी श्री हेम कुंवर जी महाराज को १३० दिन का व्रत का पारणा महोत्सव समारोह था । आचार्य श्री का पहले कार्यक्रम और था। वह पहले जम्मू जाना चाहते थे । परन्तु साध्वी जी ने एक भीषण प्रतिज्ञा की कि "मैं अपना व्रत आचार्य श्री के सानिध्य में सम्पन्न करूंगी, नहीं तो यह व्रत चलता रहेगा । जव तक आचार्य श्री के दर्शन नहीं होंगे।" साध्वी श्री पहले भी तप करती आ रही हैं । अव भी तप करती हैं। भविष्य में भी करेंगी। पर ऐसी प्रतिज्ञा उन्होंने पहले कभी नहीं की थी । आखिर आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज को चर्तुमास की समाप्ति के बाद मालेरकोटला पधारना था। वह अपने करीव १० साधु साध्वीयों के साथ अहमदगढ़, कुप्प होते हुए मालेरकोटला से ३ किलोमीटर की दूरी पर रूके। उन्हें उस समय तेज बुखार था । आचार्य श्री व्हील चेयर के माध्यम से मालेरकोटला की सीमा में पहुंचे। मालेरकोटला के स्थानीय कांग्रेसी विधायक व मंत्री चौधरी अब्दुल गुफार, नगरपालिका के अध्यक्ष व दूसरी धार्मिक व समाज सेवी संस्थाओं ने अगवानी की । शहर को दुल्हन की भांति सजाया गया। मंत्री साहिव ने आचार्य श्री की व्हील चेयर को अपने हाथों से कुछ दूरी तक चलाया । सभी लोग आचार्य श्री के साथ पैदल चल रहे थे 1
श्री सनातन धर्म सभा का महत्वपूर्ण सहयोग इस समारोह को मिला । आचार्य श्री के लिए विशाल पंडाल श्री हनुमान मंदिर में बनवाया गया। इस की तैयारीयां कई दिनों से चल रही थीं। उनकी शोभा यात्रा पर ५० गेट वने । स्थान-स्थान पर जल पान का प्रोग्राम संस्थाओं और दुकानदारों ने किया। पहले दिन आचार्य श्री रती राम जैन स्मारक में, आचार्य भगवान पधारे। शाम के खाने का प्रबंध लंगर कमेटी
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