Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- Rथा की ओर बढ़ते कदम श्री हनुमान मंदिर ने किया। यह आपसी भाईचारे का प्रतीक उत्सव था। सारे नगर में आचार्य श्री को घुमाया गया। इस समारोह में हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख ८ ईसाई संस्थाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
समारोह स्थल में एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ सारे भारत से इकट्ठी हुई। आचार्य श्री का सन्मान विभिन्न संस्थाओं ने अभिनंदन पत्र के माध्यम से किया। आचार्य श्री को एक भव्य सिंहासन पर बैठाया गया। आचार्य श्री का इतिहासक प्रवचन हुआ। वह मालेरकोटला की सांझी संस्कृति से प्रभावित थे। पंजाब सरकार की ओर से चौधरी
अब्दुल मुकार मंत्री जी ने आचार्य श्री का स्वागत किया। __ मंत्री जी ने इस अवसर पर आचार्य देवेन्द्र मार्ग की घोषणा की।
इसी मंगलमद अवसर पर हमारे ग्रंथ का विमोचन हुआ। प्रकाशक धोड़े ही गंध तैयार कर सका। यह ग्रंथ का विमोचन चौधरी अब्दुल गुफार ने अपने कर कमलों से . किया। फिर इस की प्रधन प्रति चौधरी साहिब व हम दोनों __ ने आचार्य श्री के कर कमलों में समर्पित की। इस भव्य
समारोह की शोभा देखते ही वनती थी। इस ग्रंथ के प्रकाशन में आचार्य श्री से हमारा रिश्ता मजबूत हुआ। उन्होंने हमें मंगलमय आशीवाद दिया। यह हमारे जीवन का भव्य समारोह में से एक था।
__यह हमारे लिए प्रथम अवसर था जब किसी आचार्य के ग्रंथ का अनुवाद करने का हमें सौभाग्य मिला। यह ग्रंथ देखने में तो पाकेट बुक है, पर ऐसा जैन धर्म का कोई विपय नहीं जिसे जो आचार्य श्री से अछुता रहा हो। जैन धर्म, संस्कृति, पुरातत्व, साहित्य व साहित्यकार सभी के वारे में विपूल मात्रा में सामग्री प्राप्त होती है। इतनी सरल
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