Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- RAI की ओर बढ़ते कदम महाराज की शिष्या हैं। उनकी वहिनें भी उनके संघ में दीक्षित हैं। उनके तीर्थ जीणंद्धार के कार्य विशाल हैं। बहुत कम साध्वीयां इतना बड़ा काम कर पाती हैं। उन्होंने अयोध्या जैसे तीर्थ में विशाल निर्माण कार्य किया है। उनका लेखन कार्य, निर्माण के साथ-साथ चलता रहता है। यह पुस्तिका अभी कई कारणों से प्रकाशित नहीं हो पाई। इस पुस्तक में जम्बू दीप का आकार की व्याख्या जैन शास्त्रों अनुसार की गई है। उनके अभिनंदन ग्रंथ में हमारा लेखक पंजाबी भाषा में प्रकाशित हुआ है, जो उनके जीवन पर है। आचार्य विजयइन्द्रदिन्न सूरि ३ :
पंजावी की अ-काशित रचनाओं में हमारी यह रचना भी अप्रकाशित है। इस में आचार्य विजयइन्द्र दिन्न , सूरिश्वर जी महाराज का जवन चारित्र श्री वीरेन्द्र विजय जी ने हिन्दी में प्रकाशित किया : उनकी प्रेरणा से हमारे द्वारा इस
का पंजाबी अनुवाद हुआ। पर आचार्य श्री के गुजरात की । तरफ से पधारने के कारण यह अनुवाद भी अप्रकाशित पड़ा है। इस पुस्तक में आचार्य श्री के क्रान्तिकारी जीवन की झलक प्राप्त होती है। विद्वान लेखक ने २५ पृष्ट की पुस्तक में बहुत कुछ कह डाला है।
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