Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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ગ્રાસ્થા છી ગોર વઢો भाषा, ग्रंथों का ज्ञान जीव का कल्याण नहीं कर सकता । सम्यक् ज्ञान द्वारा ही आत्मा का कल्याण संभव है ।
सातवें अध्ययन के नाम उरभीय है । इस में विभिन्न उदाहरणों द्वारा जीव को समझाया गया है कि इन्द्रीयों के सुख क्षण भंगुर हैं। यह कुछ समय ही सुख देते हैं। ज्यादा समय तो यह दुःख ही देते हैं। इसी कारण ज्ञानी पुरुष इन्द्रीयों के विषय भोगों में नही फंसता । इस अध्ययन में ३० गाथाओं में विभिन्न उदाहरण देकर जीवन की क्षण भंगुरता समझाई गई है। इस अध्ययन में एक कहानी ऐसी है जो वाईवल में भी प्राप्त होती है ।
आठवें अध्ययन का नाम कापलिय है । इस में कपिल मुनि द्वारा ५०० चोरों को दिया उपदेश शामिल है। इस उपदेश को सुन कर यह चोर प्रतिवोधित हुए। वह मुनि वने । कपिल मुनि के माध्यम से भगवान महावीर फुरमाते हैं "विरवति, संयम, विवेक, दुर्गति से बचाने वाले हैं। भोगों से मुख मोड़ना और परिग्रह का त्याग ही कर्म बंधन से छुटकारा दिलाता है ।" इस अध्ययन की २० गाथाएं हैं। नवमें अध्ययन का नाम 'नमि प्रवज्या' है। इस अध्ययन में मिथिला के राजा नाम व इन्द्र के प्रश्नोत्तर हैं। इन्द्र भेष बदल कर राजा को साधु बनने से रोकता है। यह प्रश्नोतर जीवन की सच्चाई है । इस अध्ययन में ६२ गाथाएं हैं।
दसवें अध्ययन में प्रभु महावीर ने अपने शिष्य को प्रमाद से वचने का वैराग्य उपदेश दिया है। गौतम का इन्द्रीय क्षीण होने की शिक्षा प्रदान की है । यह अध्ययन इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । इस अध्ययन का नाम द्रुम पत्रिका है। इस की ३६ गाथाएं हैं।
ग्यारहवां अध्ययन बहुश्रुत पूजा है । इस में ज्ञानी
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