Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम समाधि मरण के बारे में श्लोकों में कहा गया है :
"यह अराधना समाधि मरणा संयमी लोगों के जीवन का मनोरथ होता है। जीवन अंतिम भाग में इसे स्वीकार करके, निश्चय ही संयमी पुरुषों में विजय ध्वज फहराते हैं।"
फिर कहा गया है :
"जैसे तीर्थकरों ने ध्यानों में उत्तम शुकल ध्यान कहा है। ज्ञानों में उत्तम केवल ज्ञान (सर्वज्ञता) है। इसी प्रकार मनुष्यों में श्रेष्ट परिनिर्वाण को श्रेष्ट बताया गया है।"
समाधि मरण में श्रेष्टता को आगे बढ़ाते कहा गया है :
"जैसे मणियों में श्रेष्ठ वैडुरिया मणी है। सुगन्धियों में गो शीर्ष पर चन्दन श्रेष्ट है। रत्नों में श्रेष्ट रत्न श्रृंगार है। इस प्रकार संयमी पुरूषों के लिए उदास समाधि मरण मोक्ष है।"
“समाधि मरण से आत्मा परमात्मा बन जाती है। देव लोक या मनुष्य गति को प्राप्त करती है।" .
महत्व के वाद संधारे की तैयारी का वर्णन किया गया है। जो हर श्रावक या मुनि के लिए जानने योग्य है। यह ग्रंथ वहुत महत्वपूर्ण सूचनाएं संथारे के संबंध में प्रदान करता है। संथारे का फल इस प्रकार बताया गया है : .
"जो समत्व, अहंकार और मोह से रहित श्रेष्ट मुनि घास फूस के संथारे को ग्रहण करके, मुक्ति का सुख अनुभव करता है ऐसा सुख चक्रवर्ती को भी प्राप्त नहीं होता।"
"हमने उस ग्रंथ का पंजाबी अनुवाद किया जिसे प्रकाशित कर मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने ३१ मार्च को मुझे समर्पित किया।
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