Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम जिस में ३६३ ऐसी मतों का वर्णन है, यह दर्शन वह है जो इतिहास के नक्शे से मिट चुके हैं। भारतीय इतिहास में यह ग्रंथ महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस ग्रंथ का अनुवाद करने का हम दोनों को सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस शास्त्र के अनुवाद से पहले हमें विभिन्न दर्शनों के अध्ययन का अवसर मिला। इस ग्रंथ के शुरू में विस्तृत भूमिका महत्वपूर्ण है। इस सूत्र के दो स्कंध हैं प्रथम स्कंध में १० अध्ययन हैं। द्वितीय स्कध में ७ अध्ययन हैं। . ..
प्रथम श्रुतस्कंध के प्रथम अध्ययन का नाम समय है। इस में समय परसमय का वर्णन है। वध, हिंसा
और वैर का कारण परिग्रह है। पर वादीयों के तीन सौ मतों की मानयता का वर्णन है। . . .
. . द्वितीय अध्ययन वैतालिय में समिति, कषाय विजय, परिषहविजय का उपदेश भगवान महावीर ने अपने श्रमणों को सुन्दर ढंग से दिया है।
तृतीय अध्ययन का नाम उपसर्ग है। इस में श्रमण को सुख व दुख समता में रह कर संयम पर दृढ़ रहने का उपदेश है। जैसे पानी के अभाव में मछली छटपटा कर प्राण त्याग देती है इसी तरह श्रमण प्रतिकूल स्थितियों में प्राण तक त्याग दे, पर परिषह में भी व्रतों का पालन करे।
चर्तुथ अध्ययन स्त्री परिज्ञा बहुत महत्वपूर्ण है। जो ब्रह्मचारी मुनि है वह ध्यान को भूल कर भोग में उलझ जाता है। वह साधना से भ्रष्ट हो जाता है। अतः मुनि को स्त्री संसर्ग से वचना चाहिए।
पांचवा अध्ययन का नाम नरक विभिक्त है। इस मं नरक में पैदा होने वाले जीवों की वेदना का चित्र प्रस्तुत __ कर, मनुष्य को पाप से वचने का उपदेश दिया गया है।
छटा अध्ययन वीरथुई है। यह प्रभु महावीर की
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