Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
समितियां बना कर कार्य शुरू कर दिया ।
राज्य स्तरीय २५००वीं महावीर निर्वाण शताब्दी समिति की
स्थापना
पंजाब में जैन समाज बहुत धीमी गति से चल रहा था। वहां कोई समिति स्थापित नहीं हुई थी । यह महज इतिफाक था कि हमें प्रवर्तक श्री फूलचंद जी महाराज के माध्यम से लुधियाना श्री संघ से मिलने का अवसर मिला । पूज्य श्री रत्न मुनि जी व श्री त्रिलोक मुनि जी से मिलन हुआ । समिति के बारे में विभिन्न सम्प्रदायों के प्रमुख से बातचीत की। पर जैन समाज इकट्ठा होने का नाम न लेता था। सभी अपने सम्प्रदायों के दायरो से बंधे हुए थे। कोई सम्प्रदाय भी स्वयं को कम नहीं समझता था । हम समाज के लिए विल्कुल नए थे। हमारी आयु के आधार पर हमारे अनभव का अंदाजा लगाते थे ।
एक दिन मैंने धर्मभ्राता रविन्द्र जैन से कहा "आप एक ऐसा प्रोग्राम बनाओ जिस से कोई छोटी सी समिति का गठन हो सके ।" श्री रविन्द्र जैन ने मुझे इस समिति का संयोजक घोषित किया। वह स्वयं कार्यकारिणी सचिव बने । हमने एक विज्ञापन 'आत्म रश्मि' मासिक लुधियाना में दिया, जिस में मालेरकोटला की कुन्दनलाल जैन धर्मशाला में एक मीटिंग के लिए समस्त समाज के अग्रणी नेताओं को पधारने की प्रार्थना की गई थी। हमने एक सप्ताह का समय भी दिया था। साथ में स्थापित समिति की रूप रेखा व उद्देश्य का वर्णन था। हमारे इस विज्ञापन पर जैन समाज में कुछ हलचल हुई । लुधियाना जो चार सम्प्रदायों के
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