Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
View full book text
________________
आस्था की ओर बढ़ते कदम
परिवार के यहां ठहरे। उनके निवास वीर नगर, गुड़ मंडी में है । यहीं महाराज संसारिक बडे भ्राता स्व. जगदीश चन्द्र जैन से मिले। बड़े सज्जन व्यक्ति थे । उन्होंने हमें अपने बच्चों की तरह रखा। उन्होंने महाराज श्री के दीक्षा से पहले के हालात, पाकिस्तान के समय की स्थितियां, लूटमार, महाराज की दीक्षा का आंखों देखा हाल सुनाया । १९४७ के बाद वह किस प्रकार अमृतसर, मेरठ व दिल्ली घूमते रहे। सारा दृश्य उनकी आंखों के सामने घूम रहा था । स्व. श्री जगदीश जैन भारत-पाक विभाजन को भूले नहीं थे। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के संसारिक छोटे भाई स्व० सुरेन्द्र कुमार जैन दिल्ली में रहते थे। सारा परिवार महाराज का हर तरह से ध्यान रखता । उन से वातें कर मेरे ज्ञान में बहुत बढ़ोत्तरी हुई। उनका ज्ञान अनुभव पूरक था ।
सवेरे हमें अपने विदेशी मेहमानों से मिलने ओवराय कांटीनेंटल होटल जाना था। सुबह हुई, साध्वी श्री सरिता जी महाराज उस समय पी. एच. डी. नहीं थे। पर वह आगे पढ़ रहे थे। उन से हम प्रोग्राम तय कर चुके थे। इस लिए सुबह अपने विदेशी मेहमानों को मिलने पहुंचे। डा० कैय्या हमारी अंग्रेजी कम समझ रही थीं । परन्तु उनकी शिष्या डा० नलिनि बलवीर हिन्दी बोल सकती थीं। उन्होंने हमें हिन्दी में बात करने को कहा। उन्होंने बताया कि उनके पिता भारतीय व माता फ्रेंच हैं। उनकी माता जो फांस उच्चायुक्त कार्यालय में हिन्दी पढ़ाने का कार्य करती है। उनकी संतान ही डा० नलिनि बलवीर है। उनका परिचय भारतीय विद्वानों व साधुओं से बहुत है। मैंने डा० सी. कैय्या का वायो-डाटा लिया। उनके बारे में धर्मभ्राता श्री रविन्द्र जैन को बोलना था । निश्चित समय पर हम दोनो मेहमान जैन स्थानक सदर बाजार में पधारे। जैन सभा ने
.
128