Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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TRथा
की ओर बढ़ते कदम = घोषित कर दिया था। जिस में हर तरह के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया। किसी को नया लाईसेंस देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पुराने लाईसेंस जो शिकार के लिए जारी किए गए थे रद्द कर दिए गए। आज ये प्रतिबंध जो वर्ष के लिए लागू था, हमेशा के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून बन गया। अव तो मांसाहारी देश भी इस कानून का सख्ती से · पालन करते हैं। जीव और पर्यावरण की रक्षा को इस से जोड़ा गया। - केन्द्रीय समिति की गतिविधियां
- इधर पंजाब की समिति के कार्यक्रम चल रहे थे। उधर दिल्ली की केन्द्रीय समिति के कार्यक्रम चरम सीमा पर - पहुंच चुके थे। जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों के आचार्य व मुनि एक मंच पर समारोह करने लगे। संसार के सामने जैन धर्म को अपनी बात प्रस्तुत करने का सुअवसर मिला। जैन धर्म का संसार में सव से प्रचीनतम् धर्म माना जाने लगा। जैन एकता का कार्य २५०० वर्ष वाद होना प्रारम्भ हुआ। लोग जैन धर्म के संस्थपक के रूप में प्रथम तीर्थकर भगवान् ऋषभदेव से परिचित हुए। सब से बड़ी बात जो हुई वह तीन प्रमुख कार्य थे जिस को इस समिति की प्राप्ति कहा जा सकता है। इस के अतिरिक्त हर गांव व नगर में महावीर के नाम से चौंकों, स्कूलों व तीर्थों का निर्माण हुआ। तीन प्रमुख कार्य : १. जैन ध्वज का निर्माण
चारों सम्प्रदायों के आचायों ने एक पंच रंग ध्वज को मान्यता प्रदान की, जो नवकार मंत्र का स्वरूप प्रकट करता था। विशेष वात यह थी कि अरिहंत पद का रंग सफेद मध्य में रखा गया। वीच में स्वास्तिक, सिद्धशिला
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