Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
होने के कारण सरकार ऐसा नहीं कर पा रही।
आज भी भारत में अनेकों संस्थाएं जैन धर्म के प्रति विषवमन कर रही हैं। वह जैन मुनियों को जला देती है । प्रतिमाओं का अपमान करती है। अपनी खरीदी सम्पति पर मंदिर नहीं बनाने देती । जैन समाज को वह वर्ग भी अव यह सोचने को मजबूर हो गया है, जो कभी अल्पसंख्यक दर्जा को विरोध करता था। इस बात को ध्यान में रखकर मुझे पंजाव राज्य कांग्रेस में अल्पसंख्यक प्रकोष्ट में उपसभापति नियुक्त किया गया। इस का अच्छा उत्तर मिला। जैन समाज अपने अधिकारों को समझने लगा है। जिन राज्य सरकारों का मैंने वर्णन किया है उनकी विधानसभा ने यह पास किया है । दर असल राज्य सरकारों का विषय है। जैन समाचार पत्रों में इस विषय की चर्चा है। भारत के मान्नीय उच्चत्म न्याययालय ने इसे राज्यों का विषय माना है ।
वाकी अधिकतर संस्थाओं में जन्म कल्याणक महोत्सव पर भव्य योजनाएं सामने आ रही हैं। इनमें एक योजना हमारे पंजाव में आचार्य श्री विमल मुनि जी महाराज ने प्रस्तुत की है । इस योजना का नाम है " आदिश्वर धाम" । सन्मति नगर कुप्प कलां में ७० बीघा जमीन में एक कम्पलेक्स तैयार हो रहा है। इस में मूलनायक भगवान ऋषभदेव हैं, इस में दादावाड़ी है। एक २४ तीर्थकरों का भव्य मन्दिर व म्यूजियम बन रहा है। दादावाडी में प्रभावक आचार्य साधु व साध्वी की प्रतिमाएं हैं। इसी के प्रांगन में गौ सदन, साधु उपाश्रय, साध्वी उपाश्रय, भोजनालय का भी निर्माण हो चुका है। मंदिर का कार्य लम्बा है । जो चल रहा है। धर्मशाला निर्माणाधीन है। मूल भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा है I इसी भव्य प्रांगण में हमने अपनी गुरूणी स्व० उपप्रवर्तनी श्री स्वर्ण कांता जी महाराज के नाम से पुस्तकालय
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