Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम प्रकरण - ६
अवार्डों की स्थापना
किसी महापुरूष की स्मृति को ताजा रखने के कई ढंग हैं इन में अवार्ड का अपना स्थान है। साध्वी श्री स्वर्ण कांता जी महाराज ने हमें ऐसे अवार्ड की स्थापना के लिए प्रेरणा दी जिनसे जैन धर्म व अहिंसा का प्रचार-प्रसार करने वालों का सम्मान हो। उन्हें किसी विशेष दिवस पर बुला कर समाज सम्मानित करे। उनके कावों से समाज परिचित हो। जव से जैन चेयर पटियाला की स्थापना हुई थी तव से हमारा संपर्क विद्वानों से निरंतर बनता रहा है। उनकी साहित्यक गतिविधियों का पता रहता है। पर उन्हें सम्मानित करने का ढंग अवार्ड से बढ़कर कोई नहीं लगा। यह सरल प्रक्रिया है, इस अवार्ड की कोई निश्चित राशि, स्थान नही है। हां निचित तिथि जरूर हो सकती है। जब उस महापुरूष का जन्म, दीक्षा व पुनः जयंती हो अवार्ड दिया जा सकता है। एक कार्य कठिन है, वह है विद्वानों के कार्य का चुनाव। इस के लिए एक सब कमेटी का निर्माण हुआ। यह कमेटी अपना सुझाव साध्वी श्री को प्रेषित करती। हमारी संस्था २५वीं महावीर निर्वाण शताब्दी संयोजिका समिति पंजाव जो अब २६वीं महावीर जन्म कल्याणक शताब्दी संयोजिका समिति पंजाव को स्थान ले चुकी है, ने यह कार्य अपने हाथों मे लिया। इसी प्रकार के दो अवाडों की स्थापना रव० उप-प्रवर्तनी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की प्रेरणा से की है। प्रथम अवार्ड हिन्दी भाषा की प्रथम जैन महिला लेखिका प्रवर्तनी साध्वी पार्वती जी महाराज को समर्पित है। दूसरा अवार्ड मेरे दादा स्व० श्री नाथ राम जी जैन कूनरा की
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