Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कदम *
प्रकरण -७ हमारी संस्था द्वारा कुछ संस्थाओं
का निर्माण __ मैंने पिछले प्रकरणों में पंजाब में हमारे द्वारा स्थापित समिति व पंजाव सरकार स्थापित समिति के निर्माण का वर्णन किया है। हमारी २५वीं महावीर निर्वाण शताब्दी संयोजिका समिति पंजाब ने सरकारी समिति के कायों को कर वाकी अन्य उद्देश्यों के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। हमें अव पंजावी जैन साहित्य के लिए कार्य करना था। चाहे सरकारी समिति में कार्य करने थे। परन्तु दोनों महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति किसी का ध्यान नहीं था। हमारे दोनों कार्यों को प्रवर्तक भण्डारी श्री पदम चन्द्र जी महाराज व स्व० उप्रवर्तनी साध्वी स्वर्णकांता जी महाराज का आशीवाद प्राप्त था। हम अपने लक्ष्य की ओर धीमी गति से बढ रहे थे। _ जैन चेयर के लिए पत्र व्यवहार
हमारी समिति की स्थापना से यह हमारी प्रमुख __मांग थी। इस की पृष्ट भूमि के पीछे डा० एल.एम. जोशी व
भण्डारी श्री पदमचन्द जी महाराज की प्रेरणा काम कर रही थी। एक वात मजेदार थी कि लोग जैन चेयर का अर्थ ठीक ढंग से नहीं समझ रहे थे। पहले अपने लोगों को जैन चेयर
का अर्थ। समझाने में काफी समय लग गया। इसी तरह लोग निर्वाण का अर्थ जन्मदिन करते या निर्वाण को निर्माण लिखते। यह सभी धर्म प्रचार की कमी के कारण हो रहा था। यह हालात जैन धर्म के सामान्य लोगों से लेकर आम लोगों तक थी। मुझे लगा कि लोग धर्म के प्रति जितनी आस्था रखते हैं उतना वह धर्म के मूल तत्वों से अनभिज्ञ हैं।
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