Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कदम भेंट किया। उन्होंने अपना हस्तलिखित भण्डार यूनिवर्सिटी को दान कर दिया। तेरापंथ समाज संगरूर के माध्यम से तेरापंथी जैन साहित्य पहुंचने लगा। धीरे धीरे इतना साहित्य हो गया कि जैन विभाग की लाईब्रेरी हर विभाग की लाईब्रेरी से वडी हो गई। जिस समय पंजाव के राज्यपाल श्री एम. एस. चौधरी पधारे उस समय यूनिवर्सिटी ने २५०० साला महोत्सव पर डा० नथ मल टाटीया जो डा० सिन्हा के गुरू थे उन्हें प्रवचन के लिए आमंत्रित किया गया। इस समारोह में यूनिवर्सिटी में प्रथम जैन समारोह हुआ। डा० नथ मल टाटीया का सारा जीवन जैन धर्म, दर्शन पढ़ाने में बीता। वह वैशाली शोध संस्थान के निर्देशक भी रहे। जैन विश्व भारती लाडनूं में अंतिम समय तक रहे। वहां Visiting Professor के रूप में विदेशों में जैन धर्म पढ़ाते रहे। इस अवसर पर जैनईज्म पुस्तक का विमोचन राज्यपाल ने किया। डा० टाटीया भाषण वहुत महत्वपूर्ण था जिसे यूनिवर्सिटी ने प्रकाशित किया। इस अवसर पर उपाध्याय श्री अमर मुनि जी हिन्दी पुस्तक "महावीर सिद्धांत और उपदेश' का पंजावी भाषा में अनुवाद माननीय राज्यपाल को भेंट किया गया। माननीय राज्यपाल ने एक जैन पुस्तक प्रदर्शनी व हस्तलिखित ग्रंधों की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया था। इसे यूनिवर्सिटी ने जैन कोरनर का नाम दिया। डा० सिन्हा के आगमन से यूनिवर्सिटी में हमें अनेकों बार आना पडा। डा० सिन्हा व डा० जोशी को हमने अपने समाज के प्रमुख साधु साध्वियों, श्रावकों से मिलवाया है। यूनिवर्सिटी के अधिकारीयों से पता चला कि आप का विभाग तो खुल गया है पर जैन चेवर नहीं। हम ने इस संदर्भ में डा० एल.एम. जोशी की सहायता प्राप्त की। उन्होंने चेयर का प्रारूप तैयार किया। फिर अपनी विभागीय सिफारिश भी की। इस प्रारूप
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