Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- की ओर बढ़ते कदम इस वर्ष में देश विदेशों में जैन चेयर प्रमुख विषय रहा। हमारे लिए यह नई वात नहीं थी, क्योंकि पंजावी विश्वविद्यालय पटियाला में गुरू गोविन्द सिंह भवन का निर्माण हो चुक. था इस भवन में एक कला दीर्घा गुरू गोविन्द सिंह जी के जीवन से संबंधित थी। पांच स्तम्भ भवन एक तालाव के नध्य में बनाए गए हैं। हर स्तंभ सिक्ख धर्म के . ककार का प्रतीक है। यह प्रतीक हैं : कंघा, कड़ा, कच्छा, कृपाण = केश। इन स्तंभ भवनों में पांच धर्मों को स्थान मिला। उनके नाम थे : हिन्दू धर्म, सिक्ख, बोद्ध, ईसाई, इस्लाम। र दुख का विषय था कि जैन धर्म को छोड़ दिया गया था। भारत वर्ष में धमों का तुलनात्मक अध्ययन कराने वाला यह एक मात्र भारत का संस्थान है। जैन चेयर ना होना हमारे लिए दुःख व क्षोभ का विषय था मैं व धर्म भ्राता रविन्द्र जैन इस संदर्भ में सरदार कृपाल सिंह नारंग को इस कार्य के लिए विशेष रूप से मिले उन्हें जैन धर्म लेखक मुनि सुशील कु-र की पुस्तक भेंट की। उन्होंने यह पुस्तक
और हमारे द्वार भेजा मांग पत्र स्व० डा० हरवंस सिंह प्रमुख धर्म अध्ययन को भेजा। कुछ दिनों बाद हमें एक पत्र लेकर उनसे मिले। उन्होंने मांग पत्र देख। हमारी वातों को ध्यान से सुना। उन्हें हमारी वात तथ्य पूरक लगी। डा० हरवंस सिंह एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोफैसर थे जिन की आत्मा पवित्र थे। उनके मन में जैन धर्म व दर्शन के प्रति श्रद्धा थी। उन्हें विभाग की गलती का अहसास हुआ। उन्होंने डा० जोशी को बुलाया। डा० जोशी हमें विभाग में ले गए। उन्होंने हमें बताया जैन धर्म वैदिक काल से प्राचीन धर्म है। वेदों में भगवान ऋषभ देव का वर्णन आया है। प्रायः सभी
पुराणों उपनिषधे में जैन धर्म का वर्णन है। सिन्धु घाटी के __ लोग भी इसी प्रमण धर्म को मानते थे। इसी श्रमण धर्म से
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