Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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3-आस्था की ओर बढ़ते कदम को स्थापित किया गया था। सिद्ध शिला के उपर एक विन्दू निराकार परमात्मा का प्रतीक सिद्ध शिला के नीचे तीन विन्दू ज्ञान, दर्शन, चारित्र का प्रतीक है। ऐसे स्वास्तिक का निर्माण प्रभु की प्रतिमा के आगे चावलों से किया जाता है। इसके आगे अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु प्रतीक हैं। २. एक प्रतीक :
इस वर्ष जैन धर्म का एक प्रतीक बना। इस . आधर पर जैन शास्त्रों में वर्णित लोक को माना गया। जैन धर्म के अनुसार सारा संसार का आकार चौदह राजु लोक हैं इस के नीचे के भाग में एक नरक है। मध्य में मनुष्य रहते हैं। उपर देवलोक है। जव देव लोक समाप्त हो जाता है तो सिद्ध शिला है। जहां मुक्त आत्माएं विराजती हैं। इसके नीचे उमारवाती का एक सुवाक्य लिख गया जिसका अर्थ है। "जीवन सहयोग पर निर्भर है। ३. एक ग्रंथ :
जैन के दो प्रमुख सम्प्रदायों के अलग ग्रंथ हैं। आचार्य विनोबा भावे जी की प्रेरणा से क्षुल्लक जिनेन्दु वर्णी ने समण सुत सर्व मान्य ग्रन्थ का संकलन दोनों सम्प्रदायों के. ग्रंथों से किया। इस ग्रंथ को जैन धर्म में गीता, धम्म पद, जपु जी, का स्थान प्राप्त है। वैसे सभी भारतीय धमों में अलग अलग ग्रंथ हैं पर साथ में एक सार भूत ग्रंथ भी है। इसी तरह जैन धर्म का सारभूत ग्रंथ समण सुतं है।
जैन धर्म के इतिहास में भगवान महावीर के . निर्वाण स्थान पावापुरी जल मन्दिर पर एक टिकट जारी दीवाली १६७५ को भारत के राष्ट्रपति ने जारी किया। यह स्वतन्त्रता के बाद जैन धर्म पर सर्व प्रथम टिकट था। विदेशों में भी इस वर्ष काफी जैन साहित्य प्रकाशित हुआ। जैन विश्वभारती लाडनू में आगम प्रकाशन के शोध स्तर पर कार्य
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