Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम आया कि क्यों न सभी विधानसभा सदस्यों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाए। मैने व धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने एक सरकूलर पत्र विधान सभा के सभी सदस्यों को लिखा । जिस में उनसे प्रार्थना की गई थी कि वह सरकारी समिति गठित करने में दवाव डाले। हमने सभी राजनैतिक पार्टियों के सदस्यों का यह पत्र डाला । पर इस पत्र का भी पहले पत्रों जैसा हाल हुआ। जैन समाज में कोई विशेष उत्साह नहीं था । कहने को हम समिति के अधिकारी थे कुछ लोग इस समिति के सदस्य जरूर थे पर चलने वाले हम दो थे। तीसरा तो प्रभु का आशीर्वाद था जो साधु साध्वियों के माध्यम से हमे मिलता जाता था। भण्डारी श्री पद्म चन्द्र जी महाराज की प्रेरणा से हम पंजावी विश्वविद्यालय में विद्वानों को जैन साहित्य पहुंचाने लग गए थे । उनको जिन शासन श्री स्वर्ण कांता जी महाराज की प्रेरणा से हम ने पंजावी में जैन साहित्य की और कदम बढाना शुरू कर दिय। दोनों महापुरूषों ने हमारे इस प्रथम प्रयत्न का सम्मान किया। कुछ समय के पश्चात् पंजावी जैन साहित्य का कार्य साध्वी स्वर्ण कांता जी ने अपने कुशल हाथों में लिया। जो उन दिनों से लेकर उनके समाधि धारण करने के बाद भी चल रहा है । वात समिति के गठन की चल रही थी जिस के लिए हम प्रयासरत थे। हमारा प्रचार अपने ढंग से बढ रहा था। अभी सारा कार्य धीमी गति से चल रहा था ।
सन्मति नगर ( कुप्प ) में मुख्य मंत्री ज्ञानी जैन सिंह से भेंट व समिति का निर्माण :
हम पंजाब सरकार से सपर्क का प्रयत्न कर रहे थे । एक दिन सुखद समाचार मिला कि पंजाब के तत्कालिन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैन सिंह सन्मति नगर कुप्प पधार रहे हैं।
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