Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम अनुभव हमारे लिए मार्ग दर्शक बने। प्रथम मीटिंग और समिति की स्थापना :
आखिर वह दिन भी आ गया, जिस के लिए हम प्रयत्न करते रहे। भव्य जैन धर्मशाला में जैन समाज के विभिन्न सम्प्रदायों के नेता व कार्यकर्ता पधारे थे। सभी का स्वागत मेरे धर्मभ्राता श्री रविन्द्र जैन ने किया। उनका खान पान की व्यवस्था हमारे जिम्मे थी। समिति में अधिकांश लोग मालेरकोटला, धूरी, संगरूर, लुधियाना व फरीदकोट से पधारे थे। इन सव में प्रमुख श्री तिलकधर शास्त्री समादक 'आत्म रश्मि', एस.एस. जैन सभा का प्रतिनिधित्व करते थे। श्री आत्मानंद जैन सभा की ओर से सेठ श्री भोज राज जैन पधारे थे। तेरापंथी समाज की ओर से श्री सुल्तान सिंह जैन प्रधान तेरापंथी जैन सभा पंजाब, उप प्रधान श्री राम लाल धूरी का नाम उल्लेखनीय है। बहुत संक्षिप्त भाषण हुए। विचार विमर्श ज्यादा हुआ। श्री सुल्तान सिंह जैन ने हमें कुछ पत्र दिए जो कई राज्य सरकारों द्वान स्थापित समितियों की सूचना थे। सर्वप्रथम इस समिति का नामकरण श्री तिलकधर शास्त्री ने किया। उन्होंने इसे २५वीं महावीर निर्वाण शताब्दी संयोजिका समिति पंजाब का नाम दिया। इस का मुख्यालय मेरे धर्मभ्राता के घर मालेरकोटला को रवा गया। फरीदकोट से प्रो० संतकुमार जैन जैसे सज्जन पधारे।
दूसरे प्रस्ताव में सरकारी समिति बनाने के लिए सरकार से पत्र व्यवहार का अधिकर हम दोनों को दिया गया।
तीसरे प्रस्ताव में एंजावी जैन साहित्य के प्रकाशन अनुवाद व लेखन का कार्य समिति को सौंपा गया। इस के लिए दो सलाहकार नियुक्त किए गए। जिनके नाम थे श्री तिलकधर शास्त्री व डा० एल. एम जोशी रीडर वुद्धईज्म
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