Book Title: Ashtpahud
Author(s): Kundkundacharya, Shrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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गाथा
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२४-२७
१३०-१३४
वन्दनीय कौन है ? वन्दना किसे करना चाहिये इच्छाकार किसे करना चाहिये ? श्रावक धर्म का फल आत्मश्रद्धान से रहित जीव संसारी ही है आत्मध्यान की प्रेरणा मुनि को पाणिपात्र ही आहार लेना चाहिये तिल तुषमात्र परिग्रह का धारी मुनि निगोद का पात्र होता है परिग्रहवान् मुनि गर्हणीय है पांच महावत ही निर्ग्रन्थ मोक्ष मार्ग हैं और वही वन्दनीय है दूसरा लिङ्ग उत्कृष्ट श्रावकों का है स्त्रियों का उत्कृष्ट लिङ्ग-आर्यिका का पद वस्त्रधारी जीव सिद्धि को प्राप्त नहीं होता है स्त्री को दीक्षा क्यों नहीं दी जाती ?
बोध पाहुड मङ्गलाचरण और प्रतिज्ञा वाक्य आयतन आदि ग्यारह अधिकारों के नाम आयतन का लक्षण चैत्यगृह का स्वरूप जिन प्रतिमा का वर्णन जङ्गम प्रतिमा का वर्णन सिद्ध प्रतिमा का वर्णन दर्शनाधिकार का वर्णन जिन बिम्बाधिकार जिन मुद्राधिकार ज्ञानाधिकार देवाधिकार धर्माधिकार तीपर्वाधिकार
१४३-१४६ १४८-१५०
१२-१३ १४-१५ १६-१८
१९ २०-२३
२४
१५८ १५९-१६१ १६२-१६३ १६४-१६७
१६८ १७०-१७३
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२६-२७
१०-१७९
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