Book Title: Ashtpahud
Author(s): Kundkundacharya, Shrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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सागार संयमाचरण के ११ भेद
अणुव्रत, गुणव्रत और शिक्षाव्रत
पाँच अणुव्रत
तान गुणव्रत
चार शिक्षाव्रत
- ३५ -
अनागार संयमाचरण का वर्णन
महाव्रत का निरुक्त अर्थ
अहिंसा व्रत की पाँच भावनाएँ
सत्य व्रत पाँच भावनाएँ
अचौर्यव्रत की पाँच भावनाएँ
ब्रह्मचर्य व्रत की पाँच भावनाएँ
परिग्रह त्याग व्रत की पाँच भावनाएँ
पाँच समितियों का वर्णन
आत्म ज्ञान स्वरूप है
सम्यग्ज्ञानी का लक्षण
दर्शन, ज्ञान, चारित्र की महिमा
सुत्त पाहुड
सूत्र का अर्थ
जो दो प्रकार के सूत्र को जानता है वह भव्य है।
सूत्र का ज्ञाता संसार का नाश करता है। सूत्र सहित मनुष्य नाश को प्राप्त नहीं होता यह
सुई के दृष्टान्त से स्पष्ट है
जिन सूत्र का ज्ञाता ही सम्यग्दृष्टि है
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जिन सूत्र व्यवहार और निश्चयरूप है
श्रुत की श्रद्धा से रहित मिध्यादृष्टि है: सूत्रार्थ से भ्रष्ट मनुष्य करोड़ों भव तक भ्रमण
कस्ता है
स्वच्छन्द विहार करने वाला मिथ्यात्व को प्राप्त होता है
निवेल मुनि का पाणिपात्र आहार लेना मोक्ष का मार्ग है शेष अमार्ग है
गाथा
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