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[ उत्तरार्धम् ] आठ देवकुरु-उत्तरकुरु मनुष्यों के बालानों का एक हरिवर्ष रम्पवर्ष के मनुष्यों का बालाग्र होता है (अट्ट हरिवासरम्पगवःसाणं मणुस्साणं वाला हेवय हेरएणवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे) आठ हरिवर्ष रम्यवर्षे मनुष्यों के बालानों का हैमवय
और एरण्यवय के मनुष्यों का एक बालाग्र होता है ( अट्ट हेमवयहेरएणवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुधविदेहारविहाणं मणु पाणं से एो बालागे ) हैमघय और एरण्य वय के मनुष्यों के बालापों का पूर्वमहाविदेह और दूसरा अपरमहाविदेह के मनुष्यों का एक बालाग्र होता है (अट्ठ पुचविदेहअवरवि देहाणं मणुस्साणं बालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साणं से एगे बालग्गे ) आठ पूर्वमहाविदेह-अारविदेहों के मनुष्यों के वालातों का भरत ऐरावत के मनुष्यों का एक बालाग्र होता है ( अट्ट भरहेरखयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा) आठ भरत ऐरावत के मनुष्यों के बालाों की एक लिक्षालीख होती है (अट्ठ लिक वा यो सा एगा जूग्रा)आठ लिक्षाओं को एक जू होती है (अट्ट जाश्रो से एगे जवमझे) आठ जूओं को एक यव का मध्य होता है (अट जब मझायो से एगे अंगुले)
आठ यव मध्यों का एक उत्सेधांगुल होता है। (एएणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलई पाओ) इस अंगुल के छह अंगुलों का एक पाद होता है (बारस अंगुलाई विहत्थी) बारह अंगुलों की एक वितस्तो होती है (चवीसं अंगुलाई रयणी) चौबीस अंगुलों का एक हाथ होता है (अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी) अड़तालीस अंगुलों की एक कुक्षि और (छनउई अंगुलाई से एगे दंडे इवा) छथानचे अंगुलों का एक दंड होता है (पण इ वा, जुगे इ वा, नालियाइ वा, अक्बे इवा, मुसले इवा) धनुष युग, नालिका, अक्ष और मुसल ये सर्व धनुष के ही नाम हैं। एएणं धणु पमाणेणं) इस धनुष के प्रमाण से (दो घणुसहरसाई गाउयं)२००० धनुषों का एक कोस होता है और (चतारि गाउपाइं जोपणं) चार कोसों का एक योजन होता है। (एणं उस्सेहं गुलेगणं किं पयोयणं ?) इस उत्सेधांगुल के कथन करने का क्या प्रयोजन है? (एएणं उम्प्लेहंगुलेणं जाइयतिरिक्व जोणियमणु सदेवाणं सरीरोगाहणाउ मविज्जति) इस उत्सेधांगुल से नारक, तिर्यक् योनि के जीव, मनुष्य और देवों के शरोरों की अवगाहना नापो जाती है।
भावार्थ-उत्सेधांगुल का अनेक प्रकार से वर्णन किया गया है। जैसेपरमाणु, त्रसरेणु, रथरेणु, इत्यादि । प्रकाश में जो धूलि कण प्रतीत होते हैं, उन्हें 'त्रसरेणु' कहते हैं । रथ के चलने से जोरज उड़ती है, उसे 'रथरेणु' कहते हैं । बालाग्र, लिना,जू, यव, ये सब उत्तरोत्तर आठ गुणा अधिक करने से निष्पन्न होते हैं। परमाणु दो प्रकार से प्रतिपादन किया गया है । एक सूक्ष्मपरमाणु, द्वितीय व्यावहारिक परमाणु । सूक्ष्म परमाणु स्थापनीय है; क्योंकि उसका
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