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[ श्रीमदनुयोगद्वार सूत्रम् ] निप्फण्णे य विभागनिप्फरणे य, से किं तं पएसनिप्फणणे?,२ एगसमयट्टिइए दुसमयट्रिईए तिसमयट्रिईए चंउसमयट्रिएई जाव दससमयट्टिईए असंखेज्जसमयट्टिईए, से तं पए सनिप्फरणे । से किं तं विभागनिप्फरणे ?, समयावलिअमुहत्ता, दिवसअहोरत्तपक्षमासा थ। संवच्छरजुगपलिया, सागरोसप्पिपरियट्टा ॥१॥
पदार्थ-(से किं तं कालप्पमाणे ?, २ दुविहे पएणत्ते, तं जहा-) काल प्रमाण किसे कहते हैं ? वह दो प्रकार से वर्णन किया गया है । जैसे कि-(पएसनिप्फरणे य विभागनिष्करगे य) प्रदेशनिष्पन्न और विभाग निष्पन्न (से किं तं पएसनिप्फणे ?) प्रदेशनिष्पन्न काल प्रमाण किसे कहते हैं ? (एगसम हि ईए) एक समय की स्थिति वाला द्रव्य वा परमाणु काल प्रमाण से एक समय की स्थिति वाला कहा जाता है । (दुसमयट्टिईए) दो समय को स्थिति वाला (तिसनयटिईए, तीन समय की स्थिति वाला (चउसमयटिईए) चार समय की स्थिति वाला (जाव दससमयदिईए) दश समय को स्थिति वाले (असंखिज्ज समयटिईए) असंख्यात समय की स्थिति वाले तक जानना (से तं पए सनिप्फरणे) सो वहो प्रदेश निष्पन्न काल प्रमाण होता है । (से किं तं विभागनिप्फणे ?) विभागनिष्पन्न काल प्रमाण किसे कहते हैं ?
समयावलिअमुहुत्ता, दिवसहोरत्तपक्खमासा य । संवच्छरजुगपलिया, सागरोसपिपरियट्टा ॥१॥
समय, * पावलिका, मुहूर्त, दिवस, अहोरात्र, पक्ष, मास, संवत्सर, युग, पल्य, सागर, उत्सर्पिणी और परिवर्तन, ये सभी विभागनिष्पन्न काल प्रमाण है।
भावार्थ-काल प्रमाण भी दो प्रकार का है। एक प्रदेशनिष्पन्न और दूसरा विभागनिष्पन्न । एक समय स्थिति वाले परमाणु या स्कन्ध, दो समय स्थिति वाले
६-क्वचिदेतद्वाक्यं नोपलभ्यते ।
* असंख्यात समयों की एक श्रावलिका, १६७७७२१६ श्रावलिकाओं का एक मुहूर्त, १५ मुहूतौ का एक दिवस, ३० मुहूतों का एक अहोरात्र या रात्रि दिवस, १५ अहोरात्र का एक पक्ष, २ पक्षों का एक मास, १२ मासों का एक संव सर, ५ संव सरों का एक युग, अनेक युगों का एक पल्य, १० कोटाकोटि पल्यों का एक सागर, १० कोटाकोटि सागरों की एक उत्सपिर्णी और अनन्त उत्सर्पिणी कालों के
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