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[ उत्तरार्धम् ]
१३५ य, तत्थ णं जे ते बद्दल्लया ते णं नत्थि, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लयो ते जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा, तेअगकम्मसरीरा जहा एएस चेव वेउव्वियसरीरा तहा भाणियव्वा ।
असुरकुमाराणं भंते ! केवइया ओरालिअसरीरा पगणता ? गोयमा ! जहा नेरइयाणं ओरालिअसरीरा तहा भाणियव्वा, असुरकुमाराणं भंते ! केवइया वेउव्वियसरीरा पण्णता ? गोयमा ! दुविहां पगणता, तंजहा -बहेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ ते वद्ध ल्लया तणं असंखिज्जा असंखेज्जाहिं उस्लपिणाओसप्पिणीहि अवहीरंति कालो, खेतो अखेजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिजइभागो, तासिणं सेढीगणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखिजइभागो, मुकेकल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा असुरकुमाराणं भंत ! केवइया आहारगसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, त. जहा--बद्ध ल्लया य, सुकोल्लया य-जहा एएसिं चेव पोरालियसरीरा तहा भाणियव्वा, त यगकम्नसरीरा जहा एएसिं चेव वेउव्वियसरीरा तहा भाणिय वा, जहां असुर कुमाराणं तहा जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वा ।
पदार्थ-(नेए इयाण मंते ! वं वक्ष्या प्रगनियममा गणता ?) हे भगवन् ! नारकियों के औदारिक शरीर कितने प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं ? (गोयमा ! दुविहा पएणता, जहा-) हे गौतम ! दो प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं, जैसे कि (बद्धल्या य मुकल्लया य,) बद्ध औदारिक शरीर और मुक्त औदारिक शरीर (तत्थ गण जे ते बदल्लया) उन दोनों में जो बद्ध औदारिक शरीर हैं (तेग नलि.) वह वर्तमान समय में वैक्रिय के सदभाव होने से नहीं हैं, (तत्थ णं जे ते मुकल्लया ) तथा उन दोनों में जो मुक्त
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