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[उत्तरार्धम् ]
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प्रकार के श्राहारक शरीर ( जहा श्रमुरकुमाराणं ) जैसे असुर कुमारों के होते हैं (तह erferoar | ) उसी प्रकार कहना चाहिये ( ( वाणमंतराणं भंते ! ) हे भगवन् ! वानव्यन्तर देवों के ( केवइया ते अगकम्मसरीरा पण्णत्ता ? ) कितने प्रकार से तैजस और कार्मण शरीर प्रतिपादन किये गये हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहा एएसिं चेव वेन्निय सरीरा) जैसे इनके वैक्रिय शरीर होते हैं ( तहा ) उसी प्रकार (तेश्रगकम्मसरीरा) तैजस और कार्मण शरीर (भाणिवा । कहना चाहिये ।
[ ( जोइसियाणं भंते ! ) हे भगवन् ! ज्योतिषियों के (केवइया श्रोशलिश्रसरीरावear ?) औदारिक शरीर कितने प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,) हे गौतम ! दो प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं (तं जहा-) जैसे कि - (जहा नेरइया) जिस प्रकार नारकियों के होते हैं ( तहा भाणियन्त्रा । ) उसी प्रकार कहना चाहिये ।]
( जोइरियाणं भंते !) हे भगवन ! ज्योतिषियों के (केवइया वेव्वियसरी पण्णत्ता ? ) कितने प्रकार से वैकिय शरीर प्रतिपादन किये गये हैं ? ( गोमा ! दुबिहा पता ) हे गौतम ! दो प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं, (तंत्रा-) जैसे कि - ( बद्ध ेल्या य ) बद्ध और (मुकल्या य) मुक्त | ( तत्थ गं जे ते बद्धलेल्या य ) उनमें जो वे बद्ध शरीर हैं (जाव) यावत् (तासि णं सेढी) उन श्रेणियों की (विक्भसूई) विष्कम्भसूचि (वेपणंगुल गपतिभागी परस्स) प्रतर के अंश के २५६ अंगुल वर्ग प्रमाण, (मुक्केल्लया) मुक्त (जहा ओहिश्रा ओरालिया) जैसे औधिक औदारिक शरीर होते हैं, तहा भाणिवा ।) उस प्रकार कहना चाहिये । ( हरयसरीरा ) आहारक शरीर ( जहा नेरइयाणं ) जैसे नारकियों के होते हैं ( तहा भाणिवा, ) उसी प्रकार कहना चाहिये (तेमा कम्मसरीर) तैजस और कार्मण शरीर ( जहा एएपिं चेत्र ) जैसे इनके ( वेडसरी) are शरीर होते हैं (तहा भाक्रिया । उसी प्रकार कहना चाहिये ।
(वेमाणियाणं भंते ! ) हे भगवन् ! वैमानिक देवों के ( केवइआ ओरालि सरीरा पणता ?) कितने प्रकार से श्रदारिक शरीर प्रतिपादन किये गये हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! ( जहा नेरइयाणं ) जिस प्रकार नारकियों के होते हैं ( तहा भाणिवा, ) उसी प्रकार कहना चाहिये, ( तेस्रगकम्मसरीग) तैजस और कार्मण शरीर ( जहा एएसिं
* यथोक्तरीत्या प्रतर के एक २ अंशको ज्योतिषी देव अपहरण करें तो वह सम्पूर्ण अपहरण हो सकता है, अथवा एक २ ज्योतिषी देव उक्त प्रमाण से स्थापन किया जाय तो प्रतर पूरा हो सकती है । और व्यन्तरों से ज्योतिषी देव संख्यातगुणे अधिक होते हैं ।
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