Book Title: Anuyogdwar Sutram Uttararddh
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Murarilalji Charndasji Jain

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Page 223
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २१८ [ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] एवं वयंतं उज्जुसुयं) इस प्रकार कहते हुये ऋजुसूत्र को (संपइ सहनी भइ-) सम्प्रति शब्द नय कहता है, (जं भरणसि) जो तू कहता है कि - ( भइयो पएसी) प्रदेश भजनीय है, ( न भवइ, ) वह नहीं होता ( कम्हा ?) क्यों ? (ज) यदि ( भयो परसो) प्रदेश विभजनीय हैं ( एवं ते) इस प्रकार तेरा मत है तो (धम्मपएसो ऽवि) धर्मास्तिकाय का प्रदेश भी ( सिय धम्मपसी ) शायद धर्मास्तिकाय का प्रदेश हो ( सय अधम्म पसी) या धर्मास्तिकाय का प्रदेश हो ( सिय श्रागासपएसी) या आकाशास्तिकाय का प्रदेश हो (सिय जीवसो) अथवा जीवास्तिकाय का प्रदेश हो ( सिय खंधपरसो ! कदाचित्. स्कन्ध का प्रदेश हो, तथा - ( अधम्मपए सोऽवि ) अधर्मास्तिकाय का प्रदेश भी (सिय धम्म Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सो) कदाचित् धर्मास्तिकाय का प्रदेश हो ( जात्र मिश्र खंधपरसो) यावत् स्कन्ध का प्रदेश हो, इसी प्रकार ( ज. वपएसोऽवि ) जीवास्तिकाय का प्रदेश भी (सिय धम्मपरसो) शायद धर्मास्तिकाय का प्रदेश हो (जाब) यावत् ( सिय संथपएस) स्कन्ध का प्रदेश हो, ( संधपर सोडवि) स्कन्ध का प्रदेश भी (सि धम्मपरसो) शायद धर्मास्तिकाय का प्रदेश हो ( जाव) यावत् (सिश्र संघपएसो) शायद स्वन्धका प्रदेश हो ( एवं ते) इस प्रकार तेरे मतसे (त्था भविस्स ) + अनवस्था हो जायगी, ( तं मा भाहि-) इस लिये ऐसा मत कहो कि ( भइयो परसो, ) प्रदेश भजनीय हैं, किन्तु ( भणाहि ) कहो कि (धर्म पसे) धर्मरूप जो प्रदेश है ( से पए से धम्मे, ) वही प्रदेश धर्म है अर्थात् *धर्मात्मक रूप है, इसी प्रकार ( मे पर से) जो अधर्मास्तिकाय का प्रदेश है ( से पएसे हम्मे ) वही प्रदेश अधर्मात्मक है, और ( श्रागा पसे) जो आकाशास्तिकाय का प्रदेश है (सेप गा) वही प्रदेश x आकाशात्मक है, और ( जीव परसे) जीवास्तिकाय का जो प्रदेश है ( से पसे नोजीवे, ) वह प्रदेश | नोजीव है, इसी प्रकार (खंधे परसे) जो स्कन्ध का + इस प्रकार से अनवस्था दोष होगा | जैसे कि - एक देवदत्त राजा का मौर है शायद वह श्रमात्य - मंत्रीका भी हो, इसी प्रकार प्राकाशास्तिकायादि के प्रदेश भी जानना चाहिये । * सकल धर्मास्तिकाय के देश से एक प्रदेश अभिन्न रूप है इस लिये प्रदेश को धर्मात्मक माना गया F * धर्म १ अधर्म २ र श्राकाश ३ ये तीनों एक २ द्रव्यात्मक हैं, इस लिये इनका एक २ प्रदेश भी तद्रूप है। + जीव द्रव्य अनन्त हैं और एक प्रदेश सभी जीव द्रव्यों के एक देश में संगठित है तथा सकल जीवास्तिकाय के एक देश में उसकी वृत्ति है । यहाँ पर 'नो' शब्द देशवाची हैं। जो एक जीवद्रव्यात्मक प्रदेश हैं वह किस प्रकार अनन्त जीव द्रव्यात्मक हो सकता है ? घर्थात् सकत tartery में किस प्रकार व सकता है १ For Private and Personal Use Only

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