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[ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] - अर्थात् जैसे तुम सब जीवोंको आनन्द पहुँचाने वाले हो और अपनी श्री से अलंकृत हो उसी प्रकार हम भी पूर्व में ऐसे ही थे, और तुम भी अब हमारे जैसे हो जाओगे। क्योंकि तुम्हारा यही भाव होगा, जो इस समय हमारा हो रहा है । इस लिये अपनी: ऋद्धि को देख कर अहंकार न करो और दूसरों की निन्दा मत करो।
( णवि अस्थि णवि अ होही, उल्लावो किसलपंडुपत्ताणं । ) ( उवमा खलु एस कया, भविअजणविबोहणटाए ॥ ३ ॥)
किशलय और जीर्ण पत्रोंका पास्पर कभी वार्तालाप न हुआ, न होता है और न होगा, सिर्फ भव्यजीवों के बोध के लिये निश्चय ही यह उपमा की है ॥३॥
प्रथम पक्षमें किशलयों की जो अवस्था विद्यमान है उसी प्रकार अवस्था जीर्ण पत्रों की भूत काल में थी, वर्तमान में नहीं । तथा द्वितीय जो जीर्णावस्था पत्रों की वर्तमान में है वहाँ दशा भविष्यत काल में किशलयों को होगी। इस प्रकार निर्वेद के वास्त उपमा और उपमेय का स्वरूप जानना चाहिये।
चतुर्थ भंग में--(असंतयं) अविद्यमान पदार्थ की (असंतएणं) अविद्यमान पदार्थ से (उवमिजइ) उपमा दी जाती है । (जहा-) जैसे कि-(खरविसाणे) गधे के शृंग अविद्यमान हैं ( तहा ससविसाणे । ) उसी प्रकार खरगोश के शृंग भी अभाव रूप हैं और जैसे शश के श्रृंग अभाव रूप हैं उसी प्रकार खरके शृग हैं। (से तं प्रोवम्मसंखा ।) वही पूर्वोक्त उपमान संख्या का स्वरूप है, अर्थात् इसे ही उपमा संख्या कहते हैं ।
भावार्थ उपमान प्रमाण भी चार प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, जैसे कि-विद्यमान पदार्थों को विद्यमान पदार्थो से उपमेय करना १, विद्यमान को अविद्यमान से उपमेय करना २, अविद्यमान को विद्यमान से उपमेय करना ३, और अविद्यमान को अविद्यमान से उपमेय करना ।
विद्यमान पदार्थ की विद्यमान पदार्थ से उपमा दी जाती है । जैसे-विद्यमान अर्हन् भगवन्तों के वक्षः स्थल की विद्यमान नगर के कपाटादि से उपमेय करना १, विद्यमान पदार्थ की अविद्यमान पदार्थ से उपमा दी जाती है । जैसे चारों गतियों के जीवों की आयु को पल्योपम और सागरोपमों से मान करना २, अविद्यमान दृष्टान्तों से विद्यमान पदार्थ को भव्यजनों के बोध के वास्ते बोधित करना । जैसे कि-वृक्ष के बीट से गिरते हुये जीर्ण पत्र ने किशलयों को कहा कि हे पल्लवो! सुनो-जैसे तुम हो इसी प्रकार हम भी थे, और जैसे इस समय हम है तुम भी कालान्तर में इसी प्रकार हो जाओगे । इस लिये अपनी श्री का अहंकार मत करो। तुम को जीर्ण पत्र पुनः २ कह रहा है । यद्यपि पत्रों
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