________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[ उत्तरार्धम् ]
२७७ प्पयाणं आसाणं हत्थीणं अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं आए, से त सचित्ते । ____ से कि त अचित्ते ? सुवरणरयय पणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणाणं संतसावएजस्स आए, से तं अचित्ते ।
से कि तमीसए ? दासाणं दासीणं आसाणं हत्थी. णं समाभरिआउज्जालंकियाणं आए, से तमीसए से तं लोइए।
से कि त कुप्पावयणिए ? तिविहे पण्णत्ते, तं जहा. सचित्ते अचित्ते मीसए अतिरिणवि जहा लोहए जाव, से तमीसए, से त कुप्पावयणिए ।
से कि त लोगुत्तरिए ? तिविहे पण्णत्ते, तं जहासचित्ते अचित्ते मीसए अ।
से कि त सचित्ते ? सीसाणं सिस्सणियाणं, से त सचित्ते ।
से कि त अचित्ते ? पडिग्गहाणं वत्थागां कंबलाणं पायपुंछणाणं आए, से त अचित्ते ।
से कि तमीसए ? सिस्साणे सिसणियाणं सभंडोवगरणाणं आए, से त मीसए, से त लोगुत्तरिए, सेत जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्त दवाए, से तनोभागमओ दवाए, से त दवाए ।
से कि त भावाए ? दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-आग. मओ अ नोभागमओ अ।
से कि त आगमओ भावाए ? जाणाए उवउत्ते, रो तं आगमओ भावाए।
For Private and Personal Use Only