________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२६४
[ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् । निक्षप नियुक्त्यनुगम * कहते हैं । ( अणु गए) पूर्ववत् जानना चाहिये । (से तं निक्षेत्र निज्जुत्ति अणुगमे ।) यहो निक्षेप नियुक्त्यनुगम है।
(से कि तं उबग्यायनिज्जुत्तिअणुगमे ? ) उपोद्धात नियुत्तयनुगम किसे कहते हैं ? ( उबग्घायनिज्जुत्तिणुगमे ) व्याख्या किये हुए सूत्र की व्याख्या विधि को समीप करना उसे उपोद्धात कहते हैं उसी की नियुक्ति का व्याख्यान करना उसे उपोद्धात नियु क्ति कहते हैं । इसका स्वरूप (इमाहिं) इन (दोहि मुलगाहाहिं ) दो मूलगाथाओं से (अणुगंतव्यो,) जानना चाहिये, (तं जहा-) जैसे कि
( उद्दे से निह से अ२, निग्गमे३ खेत्त४ काल'५ पुरिसे य६ । कारण७ पञ्चयो८ लक्खण ६, नए १० समोआरणाणुमए११ ॥ १॥ किं १२ कइविह १३ कस्स१४ कहिं१५, केसु२६ कह१७ किञ्चिरं हवा कालं१८ । कइ १६ संतर२० मविरहियं२१, भवा२२ गरिस२३ फासण२४ निरुत्तो२५ ॥२॥)
उहश १, निर्देश २, निर्गम ३, क्षेत्र ४, काल ५, पुरुष ६, कारण ७, प्रत्ययम, लक्षण ६, नय १०, समवतार में अनुमत होना ११, ॥ १ ॥
किसको १२, कितने प्रकार को १६, किसकी १३, कहां पर १५, किस में १७, किस प्रकार १७, कितने समय तक काल होता है १८, कितनी १६, अन्तर सहितपना २०, अविरहपन २१, भात २२, आकर्ष २३, स्पर्शना २१, और निरुक्ति २५, ॥ २ ॥ (से तं उबग्यायनि जुशिअागमे । यहो उपोद्घातनियुलियनुगम है !
भावार्थ-जो ब्यवस्था सूत्र के अनुकूल होतो है, उसे अनुगम कहते हैं। उसके दो भेद हैं, जैसे कि-सूत्रानुगम और नियुक्त्यनुगम । जिस सूत्र के साथ अर्थ को अत्यन्त निकलाना हो पश्चात् उसकी व्याख्या की जाय उसे नियु: सयनुगम कहते हैं । वह तीन प्रकार का है, जैसे कि -निक्षेप निर्युतयनुगम १, उपोद्घात नियुक्त्यनुगम २ और सूत्रस्पर्शिकनियुक्त्यनुगम ३। निक्षेपनियुक्तनुगम पूर्व में प्रतिपादन किया गया है, और उपोद्घात नित्यनुगम उसे कहते हैं जो सूत्र से पूर्व अध्याय फिर उद्दश फिर सूत्र की व्याख्या की जाय जिससे कि
* अत्र व प्रागावश्यकतामायिकादिपदाना नामस्थापनादिनिक्षेपद्वारेण यद्वयाख्यानं कृतं तेन निरंपनियुक् यनुगमोऽनुगतः -- प्रोक्तो दृष्टव्यः ।
अर्थात पूर्व आवश्यक और सामायिकपदों की नामस्थापनादि निक्षेप द्वारा जो व्याख्या की गई है उसे ही निक्षेप नियुक्त्यनुगम जानना चाहिये ।
+ उपोहननं-व्याख्येयस्य सूत्रस्य व्याख्याविधिसमीपोकरणमु गोदातस्तस्य तद्विषया वा नियुक्तिस्तपस्तस्य वा अनुगमः उपोहातनियुक्त्यनुगमः ।
For Private and Personal Use Only