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श्री
[ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] होही सेऽवि आमलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिज्जिहिइ जे तत्थ आमलए न माहिइ ।
एवामेव उक्कोसए संखेज्जए रूवे पक्खित्ते जहणणयं परित्तासंखेज्जय भवइ ।
पदार्थ-(से किं तं गणगासंखा ?) गणना संख्या किसे कहते हैं ? (गणणासंखा) जिनकी संख्या गणना के द्वारा की जाय उसे गणना संख्या कहते हैं, (एको गणणं न उवेइ,) 'एक' गणन संख्याको प्राप्त नहीं होता, इस लिये (दुप्पभिः सखा,) दो प्रभृति -दो से संख्या शुरू होती है, (तं जहा) जैसे कि--( संखेज्जए ) संख्येयक ( असंखेजए ) असंख्येयक और (प्रगए ।, अनन्तक ।
(मे किं तं संखेजए ?) संख्ययक किसे कहते हैं ? (संखेज्जए) जिस की संख्या की जाय, और वह (सिविह गए पत्ते,) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, ( जहा.) जैसे कि-(जहणणए) जघन्य (कास ए) उत्कृष्ट और (अनहगमणुकासए ) मध्यम । . (से किं तं असंखेजए ?) असंख्येयक किसे कहते हैं ? (असंखेजए, जो संख्येयक न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते, ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है तं जहा.) जैसे कि--(परित्तासंबेजए) परीतासंख्येयक (जुत्तासंखेजा) युक्तासंख्येयक और (असं वेजासंखेजए ।) असंख्येयासंख्येयक । . (से किं तं परि तासंखेज्जए ?) परोतासंख्येयक किसे कहते हैं ? (परित्तासंखेजए) जो उत्कृष्ट संख्येयक न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते, ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा.) जैसे कि- (जहएणए) जघन्य (उक्कोसए) उत्कृष्ट और (अजह. रणमणुकोसए ।) मध्यम।
( से किं तं जुत्तासंखेजए ?) युक्तासंख्येयक किसे कहते हैं ? (जुत्तासंखेज्जए) जो
___ * एतावन्त एते इति संख्यानं गणनसंख्या ।
यत एकस्मिन् घटादौ दृष्ट घटादि वस्त्विदं तिष्ठतीत्येवमेव प्रायः प्रतीतिरुत्पद्यते, नैकसंख्याविषयत्वेन, अथवा आदानसमर्पणादिव्यवहारकाले एक वस्तु प्रायो न कश्चिद्रणयत्यतोऽसंव्यवहार्यत्वादल्पत्वाद्वा नैको गणनसंख्यामवतरति । अर्थात्
__ जैसे कि कोई एक घटादि वस्तु देख कर घटादि वस्तु का तो ज्ञान हो जाता है, लेकिन संख्या नहीं मालूम होती । तथा-लौकिक व्यवहार में भी परम स्तोक होने से देने लेने में इसकी गणना नहीं की जाती।
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