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[ श्रीमद्नुयोगद्वारसूत्रम् ] अर्थात् जिसमें स्वसिद्धान्त का विवेचन हो ( परसमयवत्तव्यया ) परसमयवक्तव्यतो अर्थात् जिसमें अन्य मतका विवेचन हो और (ससमयपरसमयवचधया) स्वसमय परसमय की वक्तव्यता अर्थात् जिसमें स्वसिद्धान्त और परसिद्धान्त दोनों का विवेचन हो ।
(से किं तं ससमयवत्तव्यया ? ) स्वसमय वक्तव्यता किसे कहते है ? (ससमयवरःव्वया) स्वसमय वक्तव्यता उसे कहते हैं (जन्य णं*) जहां पर (ससमए) स्वसिद्धान्त का (अाघतिजइ ) व्याख्यान किया जाता है, (परणविजइ ) प्रतिपादन किया जाता है, (परूविजइ ) स्वरूप को प्ररूपणा को जाती है, (सिजइ) सामान्य प्रकार से धर्मास्ति काय आदि का निदर्शन किया जाता है, (निदंसि जइ) दृष्टान्त के द्वारा सिद्धि की जाता हैं (उवदंसिजइ) उपनय के द्वारा उसका स्वरूप निरूपण किया जाता है.(से तं ससमयवत्त. अया।) यहो पूर्वोक्त स्वसमय वक्तव्यता है ।
(से किं तं परस यवत्तव्यया ? ) परसमय-परमत वक्तव्यता किसे कहते हैं ? ( ससमयवत्तव्वया ) परसमय की वक्तव्यता उसे कहते हैं (जस्थ णं) जिस में (पासमए) परमत का + स्वरूप ( प्रायविजइ ) प्रतिपादन किया जाय (जाव) यावत् (उवदंतिजइ,) निगमन के द्वारा उसका स्वरूप दिखलाया जाय ( से तं परसमयवत्तवया ।) यही परसमयवक्तव्यता है।
(से किं तं ससमयपरवत्तव्वया ? ) स्वसमय परसमय वक्तव्यता किसे कहते हैं? ( ससमयपरसमयवत्तव्यया ) स्वसमयपरसमयवक्तव्यता उसे कहते जैसे कि-(नत्य ) जहाँ पर (ससमए) स्वसमय और (परसमए) परसमय (प्रायविजइ) प्रतिपादन किया जाता है (जाव) यावत् (उदसिजई,) निगमन के द्वाग दिखलाया जाता है, (से तं, वही ( ससमयपरसमयवत्तवया । ) स्वसमयपरसमयवक्तव्यता है। ( इयाणीं) इस समय (को णश्रो कं वत्तव्ययं इच्छइ ?) कौन २ नय किस किस वक्तव्यता को मानता है ?
(तत्थ नेगमसंग्गहववहारा ) उन सातों नयों में से नैगम नय १, संग्रह नय २, और व्यवहार नय ३ (तिविहं वत्तव्यय) तीनों प्रकार की वक्तव्यता को (इच्छति,) मा. नते हैं, (तं जहा.) जैसे कि--(ससमयवत्तवयं) स्वसमय को वक्तव्यता (परसमयवत्तव्वयं) परसमय को वक्तव्यता औ (ससमयपरसमयवत्तव्वयं) स्वसमय परसमय की वक्तव्यता, तथा (ज्जुसुरो) ऋजुसूत्र नय (दुविहं) दो प्रकार की (वत्तव्वयं) वक्तव्यता को (इच्छइ.) मातता है, (तं जहा-) जैसे कि- ससमयवव्वयं) स्वसमय की वक्तव्यता और (परसमय: वत्तव्वयं,) परसमय की वक्तव्यता, (नत णं ना सा) उन वक्तव्यताओं में से जो वह
* 'ण' मिति वाक्यालङ्कारे,-'ण' वाक्य से अलङ्कार अर्य में होता है। + विशेष अर्थ भावार्थ से जानना चाहिये ।
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