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[ उत्तरार्धम् ]
२३७
उत्कृष्ट परोत न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा - ) जैसे कि - ( जहएगए ) जघन्य (उक्कोस ए) उत्कृष्ट और (अजहरा णमणुकोसए ।) मध्यम ।
(से किं श्रसंखेजासंखेज्जए ? ) अ ख्येया संख्येयक किसे कहते हैं ? ( श्रसंखेज्जा - संखेज्जए) जो उत्कृष्ट युक्त न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा-) जैसे कि -- (जहरए) जघन्य (उक्कांसए) उत्कृष्ट और ( श्रजहमोस) मध्यम ।
( से किं तं त ?) अनन्तक किसे कहते हैं ? (त) जो उत्कृष्ट असंख्येयासंख्येयक न हो, और वह ( तिविहे परागात्ते, ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा-) जैसे कि - (परतात) परीतानन्तक, जुत्ता संतए) युक्तानन्तक और ( श्रयं तात ।) अनन्तानन्तक ।
( से किं तं परितात ? ) परीतानन्तक किसे कहते हैं ? ( परित्ताणंतर ) जो उत्कृष्ट अनन्तानन्तक न हो, और वह (तिविहे पत्ते) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, । (तं जहा-) जैसे कि - ( जहरण्ए ) जघन्य (कोसए) उत्कृष्ट और (जहरणमगुकोसए ।) मध्यम ।
( से कि तं जुत्ता संत ए ? ) युक्तानन्तक । किसे कहते हैं ? ( जुत्ताख्तए ) जो परीत उत्कृष्ट न हो और वह (तिविहे पण ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा-) जैसे कि -- (जहर) जघन्य ( उक्कोस ) उत्कृष्ट और ( अजहरणमगुकोस ए 1 )
मध्यम ।
( मे किं तं श्रताणंए ? ) अनन्तानन्त किसे कहते हैं ? (दुविहे पण ते) वह समुद्र में डालें तो जितने में वे व्याप्त हुए हों उनका एक शलाका होता है । दो प्रकार से प्रतिपादन किया गया है (तं जहा ) जैसे कि - ( जहए गए | अजहरणमणुकोसए) जघन्य और ! मध्यम |
( जहणणयं संखेज्जयं ) जघन्य संख्येयक ( केवइयं होइ ?) कितने प्रमाण में होता है ? (दोरुवयं) दो रूप प्रमाण, (ते परं) उसके पश्चात् ( श्रनहरणमकोसया ठाणाई) मध्यम स्थान हैं, ( जाव ) यावत् ( उक्कोसयं संखेजयं ) उत्कृष्ट संख्येयक ( न पावइ । ) प्राप्त नहीं होता ।
(उक्कोमयं संखेज्जयं) उत्कृष्ट संख्येयक (केवइयं होइ ?) कितने प्रमाण में होता है ? (उक्कोसयस्स संखेज्जयस्स) उत्कृष्ट संख्येयक का (परूवणं) । प्ररूपण ( करिस्सामि ) करूँगा - (से जहानामए) तद्यथा नामक - जैसे कि - - (पल्ले सिश्रा) पल्य हो, जो कि ( एगं जोय -
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