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[श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] ____ (से किं तं दिवसाहम्मवं ?) दृष्टसाधर्म्यवदनुमान किसे कहते हैं ? (दिट्ठसाहम्मवं) पूर्व में जाने हुए पदार्थ के द्वारा वर्तमान काल के तत्सदृश पदार्थों का ज्ञान होना, दृष्टसाधर्म्यवदनुमान है, और वह ( दुविहं पण्णत्त,) दो प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा-) जैसे कि-- (सामनदिडं x च) सामान्यदृष्ट और (विसेसदिटुं च ।) विशेषदृष्ट।
(से किं तं सामनदिढ ?) सामान्य दृष्टानुमान किसे कहते हैं ? जैसे कि--(जहा एगो पुरिसो) जैसे एक पुरुष है, (तहा बहवे पुरिसा) उसो प्रकार बहुत से ।) मनुष्य हैं, (जहा वहवे पुरिसा) जैसे बहुत से पुरुष हैं, (तहा एगो पुरिसो) उसी प्रकार एक मनुष्य होगा, ( जहा एगो करिसावणो) जैसे एक कार्षापण-सोने की मोहर है । (तहा वहवे करिसावणा) उसी प्रकार बहुतसी मोहरें होंगी, और (जहा बहवे करिसावणा) जैसे बहुतसी मोहर होंगी (तहा एगो करिसावणो,) उसी प्रकार एक मोहर होगी (से तं सामन्नदिहूँ।) सामान्यदृष्टानुमान है।
(से किं तं विसेसदि) विशेष दृष्टानुमान किसे कहते हैं ? (से जहानामए) जैसे देवदत्तादि नामक ( कई पुरुसे ) कोई पुरुष हो ( कंचि पुरिसं ) किसी पुरुष को ( वहणं पुरिसाणं मझ) बहुत से मनुष्यों के मध्य में (पुवटिं) पहिले देखा था (पञ्चभिजाणेज्जा) जान लिया कि-(अयं से पुरिसे) यह वही आदमी है, तथा-(बहणं करिसावणाणं मझ) बहुत सी सोने की मोहरों के बीच में (पुत्रदिटुं करिसावां) पहिले देखी हुई को (पञ्चभिजाणिजा) पहिचान लिया कि (अयं से करिसावणे ।) यह वही सोने की मोहर है।
भावार्थ-साधन से जो साध्य का ज्ञान हो, उसे अनुमान प्रमाण कहते हैं। इसके तीन भेद हैं, जैसे कि-पूर्ववत् १, शेषवत् २, और दृष्टसाधर्म्यवत ३ ।
पूर्ववत् उसे कहते हैं जैसे किसी माता का पुत्र बाल्यास्था में परदेशचला गया परन्तु वह जब युवा होकर अपने नगर में वापिस आया तब उस की माता पहिले देखे हुए लक्षणों से अनुमान करती है यह मेरा हो पुत्र है,
x दृष्टेन पूर्वोपलब्धनार्थेन सह साधयं दृष्टसाधयं, तद्गमकत्वेन विद्यत यत्र तद् दृष्टसाधय॑वत् ।
() जैसे कि अन्य द्वीप से आये हुए एक पुरुष को प्राकृति को देख कर यह अनुमान करना कि उस द्वीप में और जो बहुत से मनुष्य होंगे वे ऐसे ही होंगे।
* जैसे कि देवदत्तादि नामक किसी व्यक्ति ने किसी पुरुष को बहुत से मनुष्यों के बीच में पहिले देखा था, उसको फिर देख कर अनुमान करता है कि यह वही पुरुष है जिसको मैंने पूर्व में देखा था, इसी को विशेषटष्टानुमान कहते हैं।
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