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[उत्तरार्धम्]
१८३ पदार्थ-(तस्स* समासो) उसका संक्षेप से (तिविहं गहणं भवइ,) तीन प्रकार से ग्रहण होता है, अर्थात् विशेषदृष्टसाधर्म्यवद् अनुमान द्वारा तीनों काल के पदार्थो का निर्णय किया गया जाता है, (तं जहा.) जैसे कि--(अतीयकालगहण) अतीत काल प्रहण ( पडुप्पएणकालगहणं) प्रत्युत्पन्न-वर्तमान काल ग्रहण और (अणगयकाल गहणं ।) अनागत काल ग्रहण।
(से किं तं अतीयकालगहणं ?) अतीत काल प्रहण अनुमान किसे कहते है ? (अतीयकालगहणं ) अतीत काल के पदार्थों का निर्णय करना उसे अतीत काल ग्रहण अनुमान जानना चाहिये । जैसे कि-(उत्तणाणि वणाणि) बनों में घास उत्पन्न हुए हैं, (निप्फरणसम्बसस्सं वा) या सव नाज उत्पन्न हुये हैं (मेइणि पुरणाणि अ) पृथिवी परिपूर्ण है (कुड) कुण्ड, (सर) सरोवर, (ण) नही, (दीहियातडागा) बड़े बड़े तालाबादि को (पासित्ता ) देख कर ( तेगां साहिजइ ) उससे अनुणन किया जाता है, (तं जहा.) जैसे कि--( सुवुट्ठी प्रासी,) अच्छी वर्षा हुई. ( से तं अतीयकालगहणां । ) यही अतीत काल ग्रहण विशेषसदृष्टसाधर्म्यवद् अनुमान है।
(से किं तं पडुप्परगाकालर हणं ?) प्रत्युत्पन्न काल ग्रहण किसे कहते हैं ? (पटुप्पएणकालगहणं) वर्तमान काल में ग्रहण किये हुये पदार्थो का अनमान के द्वारा निर्णय करना उसे प्रत्युत्पन्न काल ग्रहण कहते हैं, जैसे कि--(साई गोयर गगय) गोचरो गये हुए साधु को (विच्छटिअपउर भत्तपाणां) गृहस्थोंसे विशेष आहार पानी पाते हुये (पासित्ता) देख कर ( तेणं साहिजइ उस से अनमान किया जाता है (जहा.) जैसे कि- (सुभिक्खे वट्ठइ) * सुभिक्ष वर्त्त रहा है, सुभिक्ष है । ( से तं पडुप्परणकालगह ।) यही प्रत्युत्पन्न काल ग्रहण विशेषदृष्टसाधर्म्यवद् अनुमान है।
(से किं तं प्रणागयकालगहणं ? ) अनागत काल ग्रहण किस कहते हैं ? (अण्णा गयकालगहणं) भविष्यकाल में ग्रहण किये जाने वाले पदार्थो का अनुमान के द्वारा
* विशेषटष्टसाधयंवरः । तस्येति सामान्येनानुवर्तमानमनुमानमात्रं सम्बध्यते ।
अर्थात् वन में घास उगा हुआ पृथ्वी में सभी नाज पैदा हुए हैं; कुण्ड, सरोवर, नदी श्रादि सब जल से परिपूर्ण हुए हैं। इनके देखने से अनुमान होता है कि यहां पर भी अच्छी सृष्टि हुई है' यह 'पक्ष' है, 'तृण धान्य जलाशयादि' ये उस के कार्य हैं । इस लिये यह हेतु' और 'अन्य देशवत्' यह अन्वयदृष्टान्त है। इसी प्रकार ये तीन २ सर्वत्र सभी के जानना चाहिये । जैसे कि-पक्ष हेतु और पृष्टान्त ।
* यहां पर 'सुभिक्ष', पक्ष बचन; 'प्रचुर अाहार पानी' हेतु; और 'पूर्वदृष्टदेशवत'; इष्टान्त है।
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