________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१९८
[ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] चक्ष दर्शनावरणीय कर्म के क्षयोपशम से चक्षुर्दर्शन घट पटादि पदार्थों में होता है। _अचक्षु दर्शनावरणीय कर्म के क्षयोपशम से अचक्षु दर्शन उत्पन्न होता है और वह आत्मभाव में ही रहता है।
___ अवधिदर्शनावरणीय कर्म के क्षयोपशम से अवधिदर्शन सभी रूपी द्रब्यों में होता है लेकिन सभी पर्यायों में नहीं होता, क्योंकि वह केवल रूपी द्रव्यों को ही देखता है, जैसे कि रूप रस गन्ध और स्पर्श ।
___ केवलदर्शनावरणीय कर्म के क्षय से केवलदर्शन सभी रूपी और अरूपी द्रव्य और पर्यायों में होता है, क्योंकि केवलदर्शन क्षयोपशम भाव में नहीं होता, सिर्फ क्षायिक भाव में होता है । इस लिये वह मूर्त अमूर्त दोनों प्रकार के द्रव्य
और पर्यायों में होता है। इसके बाद चारित्रगुणप्रमाण का स्वरूप वर्णन किया जाता है--
से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे ? पंचविहे पण्णत्ते, ते जहा--सामाइअचरित्तगुणप्पमाणे छेओवटावरणचरित्तगु. णप्पमाणे परिहारविसुद्धिअचरित्तगुणप्पमारणे सहमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे । ___ सामाइयचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, त जहाइत्तरिए अ आवहिए श्र! छेप्रोवट्ठावणचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, सं जहा-साइयारे य निरइयारे य । परिहारविसद्धिय वरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाणिव्विसमाणए अणिविटकाइए अ । सहुमसंपरायचरित्त गुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पडिवाई अ अपडिवाई अ । अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, तें जहाछउमथिए अ केवलिए य । स तं चरित्तगुणप्पमाणे, से तं जीवगुणप्पमाणे, से तं गुणप्पमाणे । (सू०४७)
पदार्थ-(से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे १ ) चारित्रगुणप्रमाण किसे कहते हैं ?
For Private and Personal Use Only