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[ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ]
शरीर के भी दो भेद हैं-बद्ध और मुक्त, उनमें बद्ध और मुक्त दोनों ही अनन्त हैं, श्रत एव काल से वृद्ध अनन्त उत्सर्पिणी और श्रवसवियों के समयों के तुल्य, और क्षेत्र से अनंत लोकके प्रदेशों के समान पुनः द्रव्य से सिद्धों से श्रनन्त गुणे और सभी जीवों को अपेक्षा अनंतवें भाग न्यून हैं तथा क्षेत्र और काल से मुक तैजस शरीर अन त हैं किन्तु द्रव्य से सभी जीवों से अनंत गुणे और जीव वर्ग के अनन्त आग में हैं । इसी तरह जिस प्रकार तैजस शरीर का वर्णन किया गया है उसी प्रकार कार्डराय शरीर का भी जानना, क्योंकि ये दोनों शरीर युगपत्र साथ रहने वाले हैं। इस प्रकार औधिकसे पांव शरीरों का वर्णन किया गया है, अब विशेषता वर्णन करते हैं
पांच शरीरों का विशेष वर्गान ।
नेरमाणं भंते! केवइया ओरालिप्रसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा- बद्धल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ यां जे ते बद्धल्लया तेां नत्थि, तत्थ जे ते मुकल्लया ते जहा ओहिया ओरालिअसरीरा तहा भाणियञ्चा, नेरइयाणं भंते! केवइया उच्चसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुबिहा पण्णत्ता, तंजहा - बल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थां जे ते बद्दल्लगा तेणं असंखिज्जा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीसप्पिणीहिं वीरंति कालओ खेत्तत्र असंखेजात्र सेढीओ पयरस्त असंखिजइ भागो, तासि णं सेढोणं विश्वंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलं विइअग्गमूल पडुप्परणं अहवणं अंगुलविइ अवग्गमूलघणप्पमाणमेत्ताओ सेढीओ, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते गं जहा ओहिया ओरालिसरी तहा भाणियव्वा, नेरइणं भंते ! केवइआ आहारगसरीरा पण्णत्ता ? गोया ! दुविहा पणत्ता, तंजहा- बद्धल्लया य मुक्केल्लया
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