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[ उत्तरार्धम् ]
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ऐ काले से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्टिए भवइ, सेतं ववहारिए उद्धारपलियोवमे ।
ऐऐसि पल्ला कोड कोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं वत्रहारियस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं ॥ १ ॥
एएहिं वावहारियउद्धारपलिश्रोत्रम सागरोवमेहिं किं पत्रअणं ?, एएहि वावहारि उद्धार पलि ओवम सागरोवमेहिं णत्थि किंचिप्पझोचणं, केवलं, तु पण्णवरणा किज्जइ, से तं वावहारिए उद्धारपलियोवमे ।
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पदार्थ - ( से किं तं श्रवमिए ?, २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा - ) औपमिक किसे कहते हैं ? जो संख्या से अतिरिक्त है उसको उपमा के द्वारा विवर्ण किया जाय उसे श्रमिक कहते हैं, तथा च औपमिक विवर्ण दो प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, जैसे कि( पत्रिय सागरोत्रमे य ) पल्योपम और सागरोपम, ( से कि ं पलियोत्रमे १, २ तित्रिहे पत्ते, तंजहा-) ल्योपम किसे कहते हैं ? जो धान्य के पल्य ( कूप ) के समान पल्य है उसकी उपमा देकर पदार्थों का विवर्ण करना ही पल्योपम कहलाता है, किन्तु पल्योपम भी तीनों प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, जैसे कि - उद्धारपतिश्रोमे ) उद्धारपल्योपम, ( श्रद्धा पत्र ) अद्धा ( काल ) पत्योपम और ( खिरुप लिश्रोत्र ) क्षेत्रपल्योपम, ( से किं तं उद्धारप लेयोत्रमे ) उद्धार पल्योपम किसे कहते हैं ? (उद्धारपत्र दुविहे पत्रत्ते, तंजहा - ) उद्धार पल्योपम दो प्रकार से विवर्ण किया गया है, जैसे कि - (सुमेय ववहारिए ३) सूक्ष्मउद्धारपल्योपम और व्यावहारिक उद्धारपल्योपम, अपि तु, फिर (तत्थ गंजे से सुहुमे से उप्पे ) उन दोनों में जो सूक्ष्म है उसके स्वरूप को तो अभी छोड़ दीजिये, परंतु (तत्थ गं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया) उन दोनों में जो वह व्यावहारिक है वह जैसे नाम संभावना में धान्य के पल्य के समान होता है वह पल्य (जोयणं श्रायामविवखंभेण ) उत्सेधांगुल के परिमाण से योजन मात्र दीर्घ और विस्तार संयुक्त हो, और (जोयणं उद्धृत्त) योजन मात्र ऊंचा हो, १ एतद् न्यत्र नास्ति । २ पराणावि० पाठान्तरम् ।
+ किसी २ प्रति में ( जोयण उव्वेहण ) योजन प्रमाण गहरा है, ऐसा पाठ है ।
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