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[उत्तरार्धम् ] भावार्थ-क्षेत्र पल्योपम के दो भेद हैं, एक सूक्ष्म और दूसरा व्यावहारिक इनमें सूक्ष्म का स्वरूप तो इस समय प्रतिपादन नहीं किया जाता है क्योंकि उसका वर्णन फिर करेंगे, लेकिन व्यावहारिक का स्वरूप निम्न प्रकार से है, जैसे कि एक पल्य हो जो कि एक योजन मात्र गहरा दीर्घ और विस्तीर्ण युक्त हो और जिसकी, कुछ अधिक त्रिगुणी परिधिभी हो,फिर उसमें एक दिन,दो दिन, तीन दिन यावत् सात दिनतक वृद्धि किये हुए वालाबों की कोटियों से ऐसाभर दिया जाय कि जिस को अग्नि भी दाह न कर सके, वायु भी न उड़ा ले जाय, नष्ट भी न हो यहां तक उसमें दुगंध भी उत्पन्न न हो, फिर उस पल्य को, जो आकाश प्रदेश स्पर्शित किये हुये हैं उनको समय २ में निकाला जाय तो जितने काल में वह पल्य खाली और निलेप हो जाय उसी को व्यावहारिक क्षेत्र पल्योपम कहते हैं, तथा दश कोटा कोटि पल्यों का एक व्यावहारिक सागरोपम होता है, किन्तु यहाँ पर इसके वर्णन करनेका कुछ भी प्रयोजन नहीं हे,सिर्फ प्ररूपणा ही की गई है। तो भी सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम को जानने के लिये प्रत्युपयागी है सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम का स्वरूप पूर्व वही है लेकिन एक २ वालाग्रके असंख्यात २ खंड कल्पित कर लेने चाहिये जोकि दृष्टि की अवगाहना से असंख्यातव भाग में हो, और सूक्ष्म पनक जीव के शरीर को अवगहना स असंख्यात गुणा हो, तथा जिनको अग्नि भी दाह न कर सके यावत् दुर्गंध भी उत्पन्न न हो, फिर उस पल्य मे स उन वालामों को जो अाकाश प्रदेश स्पर्शित और अस्पर्शित हो, सभी को समय २ में अपहरण किया जाय तो जितने कालमें वह पल्य क्षीण, नीरज और निर्लेप हो जाय उसी को सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम कहते हैं । ऐसा वर्णन सुनकर पृच्छक ने प्रश्न किया कि-हे भगवन् ! क्या उस पल्य में ऐसे प्रदेश भी है जो बालानों से अस्पृष्ट है ? गुरु ने उत्तर दिया कि-हां ऐसे आकाश प्रदेश भी उस पल्य में हैं जिन को वालानों ने स्पर्श नहीं किया । जैसे कि-एक कोष्टक–कोठा को किसी ने कुष्मांडो से भर दिया, जब उसमें देखा कि अब एक भी कुष्मांड प्रवेश नहीं हो सकता परन्तु छिद्र हैं तो उसने मातुलिंग प्रक्षिप्त किये इसी प्रकार विल्व, प्रांवले, बदरी बेर फल, चने, मूंग, सर्षप और गंगा की रेत इत्यादि प्रक्षेप करने पर सभी प्रविष्ट हो गये, इसी प्रकार उस पल्य में भी ऐसे आकाश प्रदेश विद्यमान हैं जो उन वालाग्रो से स्पर्श मान भी नहीं हुए, क्योंकि उनकी अपेक्षा आकाश प्रदेश अतीव सक्ष्म होते हैं, जैसे किसी स्तम्भ में कालिका प्रवेश हो जाती है, इसी प्रकार प्रा. काश प्रदेश भी अवकाश देते हैं। तथा दश कोटा कोटि सूक्ष्म क्षेत्र पल्यों को
एक सूक्ष्म सोगरोपम होता है। इन दोनों से केवल दृष्टिबाद के द्रव्य मान किये जाते हैं। अब द्रव्यों के विषय में कहते हैं।
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