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[ उत्तरार्धम् ] मुहत्ता अहोरत्तं, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा ऊऊ, तिमिण उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंच संबच्छराइ जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साण वाससयसहस्सं, चोरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीई पुव्वंगसयहस्साई से एगे पुव्वे, चउरासीई पुध्वसयसहस्साई से एगे तुडिअंगे. चउरासीइं तुडिअंगे सयसहस्साई से एगे तुडिए, चउरासीई तुडिअसयसहसाइ से एगे अडडंगे, चउरासोइ अडडंगसयसहसाइं से एगे अरडे, एवं अबवंगे अबवे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अच्छनिऊरंगे अच्छनिउरे अउअंगे अउए पउअंगे पउए णउअंगे णउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलियंगे चउरासीइं सीसपहेलियंगसयसहस्साई सा ऐगा सीसपहेलि । एयावया चेव गणिए, एयावया चेव गणिअस्स विसए एत्तोवरं प्रोवमिए पबत्तइ ॥
पदार्थ-(से कि त समए ? ) समय किसे कहते हैं ? (स पयस्स णं परवणं करिस्सामि) अब मैं समय की ही प्ररूपणा करूंगा, (से जहानाम ए तुरणार.दार ए सिया) जैसे एक दर्जी हो, (तरुणे बलव) वह तरुण और बलवान हो,(जुग्वं जुवाणे) चतुर्थकाल का जन्महो और जवान हो, अप्पातक) रोग रहित हो (थिरस हत्ये) हाथ जिसके रियर हो, (दढ़ पाणपाय पिटुत्तरोरुपरिणते) पार्श्व, पृष्ठयन्तर और उरु भाग भी जिसके दृढ़ और सुपरिणमित हों अर्थात् सुडौल हों (तलजमलजुयलवाहू) ताल वृक्षोंके सह श लम्बे और अर्गलोंके समान जिसके बाहु युगल मोटे हों (घणणिचित्रपाणिवखं) कठिन संगठित और वर्तुलानार जिसके स्वन्ध हों (च मेट्ठगदु हर मुटिअसमाह त निचितगत्तकाए) चर्गेष्टक, घण मुष्टिका आदि व्यायामों के प्रतिदिन अभ्यास से जिसके शरीर के अवयव पुष्ट होगये हों (उरस्सपल तमरणााए) हृदय का बल भी जिसको प्राप्त हो गया है अर्थात् जिस का अन्तःकरण उत्साह, वीर्य आदि से युक्त हो (लंघणपवणजइणवायामसमत्थै) कूदना,
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