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[ उत्तरार्धम् ] परमाणु या स्कन्ध, इसी तरह तीन चार आदि असंख्यात समय पर्यन्त वाले परमाणु-स्कन्धों को 'प्रदेशनिष्पन्न काल प्रमाण' कहते हैं, और समय, आवलिका, मुहर्त, दिवस, अहोरात्र, पत, मास, सम्वत्सर, युग, पल्य, सागर, अवसपिणी उत्सर्पिणी, परावर्तन इत्यादि को 'विमागनिष्पन्न काल प्रमाण' कहते हैं। अब समय का स्वरूप वर्णन करते हैं
अध समय का विषय ।
से किं तं समए ? समयस्स णं परूवणं करिस्सामि, से जहानामए तुण्णागदारए सिया तरुण बलवं जुगवं जुवाणे अप्पात के थिरग्गहत्थे दढपाणिपायपासपि,तरोरुपरिणते तलजमलजुयलपरिघणिभबाहू घंणणिचियवदृपाणि खंधे घम्मगदुहणमुट्टियसमाहतनिचितगत्तकाए उरस्सबल समगणागए लंघणपवणजइणवायामसमत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एग महती पडिसाडियं (वा)पट्टसाडियं वा गहाय सयराहं हत्थमेत्तं ओसारेजा, तत्थ चोपए पण्णवयं एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदारएणं तीसे पेडसाडियाए वो पट्टसाडियाए वा सयराह हत्थमेत्ते ओसारिए, से समए भवइ?, नो इणटेसमटे, कम्हा?, जम्हा संखेजाणं तंतूणं समुदयसमितिसमागमेणं एगा पट्टसाडिया निप्फजइ, उवरिल्लंमि तंतुमि अच्छिण्णे हिट्रिल्ले तंतू न छिज्जइ, अण्णमि काले उवरिल्ले तंतू छिज्जइ,
१- नाम' इति संभावनायाम् । २-'अप्प-अल्प शब्दोऽभाववचनः । ३-कचिदेतद्वाक्यं नोपलभ्यते । क्वचित् 'चम्मे०' ५-कचित् 'धम्म' स्य स्थाने 'चम्मे' इति ।
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